देहरादून: उतराखंड के जंगलों में लग रही आग को देखते हुए हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड को अग्नि आपदा पीड़ित राज्य घोषित किया जाना चाहिए. इसके लिए रावत ने राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पॉल को एक पत्र भी भेजा है. गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रावत ने कहा कि यदि इसी तरह राज्य के जंगलों में आग लगती रही, तो जंगल वर्षो तक इससे उबर नहीं पाएंगे।
इससे जल स्त्रोतों में भी प्रदूषण फैलेगा. जल पर निर्भर रहने वाले प्राणियों के लिए भी यह एक खतरा है. उन्होने कहा कि दावाग्नि में मरने वालों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हो रही है, अत: इस स्थिति को अग्नि-आपदा मानकर इसका तत्काल मुकाबला करने की रणनीति अमल में लाई जानी चाहिए।
रावत ने राज्यपाल को इस आपदा से निपटने के लिए 6 सुझाव भेजे है. हाल में सूखाग्रस्त इलाकों का सर्वे करने के बाद केवल 5 जिलों को सूखाग्रस्त करार दिए जाने पर भी रावत ने आपत्ति जताई है, उन्होने केंद्र सरकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते दो सालों से सूखे की स्थिति गंभीर होने के बावजूद केंद्र द्वारा कोई प्रभावकारी नीति नहीं अपनाई गई।
रावत ने कहा कि जब वे केंद्र में जल संसाधन मंत्री थे तो उन्होने बुन्देलखंड़ में केन व बेतवा नदी को लिंक करने के लिए योजना लगभग बना दी थी जो लागू होनी थी, इसी प्रकार उन्होने राज्य चाल-खाल, गाद-गदेरों को भी पुनर्जीवित करने की विभिन्न योजनाओं को मंजूर किया था, परन्तु केंद्र सरकार से बजट न मिल पाने के कारण इस दिशा में अभी और काम होना बाकी है।