जिस महिला ने की थी 'मदर्स डे' की शुरुआत, उसी ने शुरू की थी ख़त्म करने की मुहीम, जानिए क्या थी वजह?
जिस महिला ने की थी 'मदर्स डे' की शुरुआत, उसी ने शुरू की थी ख़त्म करने की मुहीम, जानिए क्या थी वजह?
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आज पुरे देश में मदर्स डे मनाया जा रहा है वही मदर्स डे की आपने कई कहानियां पढ़ी होंगी। जाना होगा कि इस दिन का आरम्भ कैसे हुआ? कैसे यह दिन मांओं को समर्पित किया गया? कैसे इस दिन को उनके त्याग के लिए यादगार बनाया गया? कैसे इस दिन मांओं को सराहा गया तथा उनके समर्पण को धन्यवाद दिया गया? मगर क्या आप जानते हैं कि जिस महिला ने इस दिन का आरम्भ किया था, उसने ही इसे समाप्त करने का प्रयास भी किया। यकीनन उनका यह प्रयास सफल नहीं रहा, किन्तु उनका परिवार और रिश्तेदार यह दिन नहीं मनाते हैं। क्या था इसका कारण? क्यों इस दिन का आरम्भ करने वाली ही इसके विरोध में उतर आई? इन कई सवालों के जवाब आज हम आपको बताते है...

इस कारण चुना गया मई का दूसरा रविवार:- हर कोई जानता है कि प्रत्येक वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मतलब मातृ दिवस मनाया जाता है। तकरीबन 110 वर्ष से यह परंपरा चल रही है। इस दिन का आरम्भ एना जार्विस ने किया था। उन्होंने यह दिन अपनी मां को समर्पित किया तथा इसकी दिनांक इस तरह चुनी कि वह उनकी मां की पुण्यतिथि 9 मई के आसपास ही पड़े। ध्यान देने वाली बात है कि इस बार मदर्स डे 9 मई को ही पड़ रहा है। 

इस कारण मदर्स डे का विरोध करने लगीं एना:- दुनिया में जब प्रथम बार मदर्स डे मनाया गया तो एना जार्विस एक प्रकार से इसकी पोस्टर गर्ल थीं। उन्होंने उस दिन अपनी मां के पसंदीदा सफेद कार्नेशन फूल महिलाओं को बांटे, जिन्हें चलन में ही ले लिया गया। इन फूलों का व्यवसायीकरण इस तरह बढ़ा कि आने वाले सालों में मदर्स डे पर सफेद कार्नेशन फूलों की एक प्रकार से कालाबाजारी होने लगी। लोग ऊंची से ऊंची कीमतों पर इन्हें खरीदने का प्रयास करने लगे। यह देखकर एना भड़क गईं तथा उन्होंने इस दिन को समाप्त करने की मुहिम आरम्भ कर दी। 

कहां तक पहुंची एना की मुहिम?- मदर्स डे पर सफेद कार्नेशन फूलों की बिक्री के पश्चात् टॉफी, चॉकलेट तथा कई प्रकार के गिफ्ट भी चलन में आने लगे। ऐसे में एना ने लोगों को फटकारा भी। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने लालच के लिए व्यवसायीकरण करके इस दिन की महत्वता ही घटा दी। वर्ष 1920 में तो उन्होंने लोगों से फूल न खरीदने का आग्रह भी किया। एना अपने अंतिम समय तक इस दिन को समाप्त करने की मुहिम में लगी रहीं। उन्होंने इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, किन्तु सफलता हाथ नहीं लगी तथा 1948 के आसपास एना इस दुनिया को अलविदा कह गईं। 

एना के रिश्तेदार नहीं मनाते यह दिन:- मदर्स डे के व्यवसायीकरण के विरुद्ध एना की मुहिम का प्रभाव भले ही पूरी दुनिया पर न हुआ हो, किन्तु उनके परिवार के लोग व रिश्तेदार यह दिन नहीं मनाते हैं। दरअसल, कुछ वर्ष पहले मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में एना की रिश्तेदार एलिजाबेथ बर ने कहा था कि उनकी आंटियों तथा पिता ने कभी मदर्स डे नहीं मनाया, क्योंकि वे एना का बहुत सम्मान करते थे। वे एना की उस भावना से बहुत प्रभावित थे, जिसमें बताया गया था कि व्यवसायीकरण ने इस बेहद विशेष दिन के मायने ही बदल दिए।

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