4 साल की उम्र में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे श्री श्री रविशंकर
4 साल की उम्र में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे श्री श्री रविशंकर
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श्री श्री रविशंकर का जन्म आज ही के दिन हुआ था। वह भारत के एक जाने माने आध्यात्मिक गुरु है। आप सभी को बता दें कि रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन के फाउंडर हैं। जी हाँ और 'आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन' एक गैर-सरकारी संगठन है जो तनाव प्रबंधन और अन्य सेवा कार्यक्रमों की पहल करता है। आप सभी को बता दें कि श्री श्री रविशंकर का जन्म आज ही के दिन यानी 13 मई 1956 में हुआ था। वहीं उनके माता-पिता ने आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेकर उनका नाम रविशंकर रखा था। आप सभी को बता दें कि तमिलनाडु में जन्मे रविशंकर का रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर था। इसी वजह से मात्र चार साल की उम्र में वे श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे।

जी हाँ और बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। जी दरअसल रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे, जो अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गए थे। रवि शंकर कहते हैं कि सास शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनों को जोड़ती है, इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी के साथ वह इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी इंसान को करनी चाहिए।

आपको बता दें कि उनकी संस्था 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले के समय पूरे न्यू यार्क के लोगों के निःशुल्क तनाव को दूर करने का कोर्स करवाया, साथ ही इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। श्री श्री रविशंकर को साल 2016 में भारत सरकार ने पद्विभूषण अलंकर से सम्मानित किया। जी दरअसल यह देश के शीर्ष अलंकरणों में से एक है। श्री श्री रविशंकर ने अपने ज्ञान से योग, आध्यात्म, शांति, सफल जीवन का अलख जगाया। इसी के साथ उन्होंने आतंकियों को भी शांति के रास्ते पर चलने का संदेश दिया।

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