एक किताब ने बदला था एलन मस्क का नजरिया, आज हर सेकंड कमाते है 67 लाख रुपए
एक किताब ने बदला था एलन मस्क का नजरिया, आज हर सेकंड कमाते है 67 लाख रुपए
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स्पेस-एक्स के संस्थापक और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क आज अपना जन्मदिन मना रहे है। उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका में 28 जून 1971 को हुआ था। मस्क आज 50 वर्ष के हो गए। वे 17 वर्ष की आयु में कनाडा आ गए थे। उन्हें बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था। एलन मस्‍क की कमाई के बारे में कहा जाता है क‍ि वो प्रत्येक सेकेंड 67 लाख रुपये कमाते हैं। इसके बाद भी उनके मन में नई प्लानिंग्स को लेकर गुंजाइश बनी रहती है। एलन मस्क 184 डॉलर के नेटवर्थ के साथ इस वक़्त विश्व के सबसे बड़े रईस बन चुके हैं। कुछ माह पूर्व उन्होंने अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस को पीछे छोड़ा था। मस्क की स्टोरी उन करोड़ों उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो अपने दम पर कुछ अलक करने की सोचते हैं। मस्क सिर्फ 30 की आयु में रॉकेट खरीदने पहुंच गए रूस। रूसियों ने उनके इरादों को अहमियत नहीं दी। मस्क का सपना था कि रॉकेट के माध्यम से पहले चूहों को मंगल पर बस्ती बसाने भेजना है या कुछ पौधों को। जब दूसरी बार भी रूसियों ने खाली हाथ लौटा दिया, तब लौटते समय हवाई जहाज में ही मस्क के मन में आया कि क्यों न स्वयं ही रॉकेट तैयार कर लिया जाए। तथा यहां से स्पेसएक्स कंपनी का आरम्भ हुआ। कदम-कदम पर समस्यां आती रहीं। लगे हाथ कार निर्माण, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी, प्रौद्योगिकी विकास जैसे अनेक उद्यम भी चलते रहे। ख्वाब इतना बड़ा था तथा इरादे इतने फौलादी कि दौलत कदम चूमती चली। एक दिन वह भी आया, जब मस्क 49 की आयु में ही पुरे विश्व के सबसे अमीर इंसान बन गए। एक वह भी दिन था, जब उन्हें ब्वॉयलर की सफाई का काम प्राप्त हुआ था, जिसके लिए प्रति घंटा 18 डॉलर मिलते थे तथा आज वह प्रति घंटा लगभग 140 करोड़ रुपये कमा रहे हैं। बेशक, कल्पनाएं ही होती हैं, जो जिंदगी को उड़ान देती हैं।  

ऐसा था उनका बचपन:-
कल्पना की उड़ान सबसे तेज होती है। वह तब और तेज हो जाती है, जब कोई कथा उसे हवा देती है। आखिर हमारा विश्व क्या है? विश्व को कौन चला रहा है? इस विश्व में हमें करना क्या है? तथा कमाल है, यह किताब द हिचहाइकर्स गाइड टु द गैलेक्सी ऐसे ही रहस्य भरे प्रश्नों के पीछे लिए जा रही है। उत्तर तक पहुंचने की तमन्ना लिए वह 14 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी किशोर पृष्ठ-दर-पृष्ठ पढ़ता-बढ़ता जा रहा है। वह पुस्तक बता रही है, यह विश्व वास्तव में एक सुपर-कंप्यूटर है। ऐसा सुपर-कंप्यूटर, जिसे किसी दूसरे ग्रह पर बैठे लोग अपने सुपर-कंप्यूटर से संचालित कर रहे हैं। हमारा विश्व अकेला नहीं है। ब्रह्मांड में काफी सारे ग्रह ऐसे हैं, जहां कई प्रकार के लोग रहते हैं। ऐसे ग्रह भी हैं, जहां के लोग धरती का मोल नहीं समझते। धरती चूंकि उनके अंतरिक्ष मार्ग में बाधा बन रही है, इसलिए वे धरती को समाप्त कर देना चाहते हैं। तथा एक ग्रह ऐसा भी है, जहां के लोग बार-बार धरती बनाते हैं, जिससे वहां जीवन की असली खोज कर सकें, ब्रह्मांड को ठीक से पहचान सकें। ब्रह्मांड में मनुष्य भी हैं, एलियन भी और रोबोट भी। जिस ग्रह के लोग बार-बार दुनिया या पृथ्वी गढ़ते हैं, उस ग्रह पर भी आर्थिक मंदी आती है तथा शोध-विज्ञान का काम प्रभावित होता है, मगर उस ग्रह के वासी यह सपना संजोए जीते हैं कि फिर एक पृथ्वी गढ़नी है। 

एक किताब ने बदल दिया सोचने का नजरिया:-
वह 14 साल का किशोर यह सब पढ़कर हैरान था कि ऐसा भी होता है या हो सकता है। पहले के साहित्य में लोग गुब्बारे के सहारे या किसी पक्षी पर बैठकर चांद पर पहुंच जाते थे, तब यान का आविष्कार भी नहीं हुआ था। एक दिन वह भी आया, जब मनुष्य चांद पर जा पहुंचा। अर्थात, कुछ भी असंभव नहीं। हम एलियन को और एलियन हमें तलाश रहे होंगे, जो अधिक कुशल होगा, वह खोज में सफल होगी। क्या इस खोज में मैं भी सम्मिलित हो सकता हूं? कुल मिलाकर, डगलस एडम्स की उस पुस्तक ने सोचने का पूरा खाका ही बदल दिया। उस किशोर के हम उम्र लड़के खेलने में वक़्त लगाते थे, मगर उस किशोर का जीवन मानो अनुसंधान के लिए बना था। वह किशोर समझ गया था कि जिंदगी वही नहीं है, जो हम अपने आसपास देखते हैं, पूरा ब्रह्मांड जीवन से भरा है। जीवन के तमाम स्वरूपों की खोज में सक्षम होना पड़ेगा तथा इसके लिए सबसे आवश्यक है तकनीकी विकास तथा इंजीनिर्यंरग में महारत हासिल करना। 

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