दुर्गावती देवी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों की प्रमुख मददगार में से एक थीं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगतसिंह के साथ इन्हीं दुर्गावती देवी ने 18 दिसम्बर, 1928 को वेश परिवर्तन करके कलकत्ता मेल से यात्रा की थी। चन्द्रशेखर आज़ाद की अपील पर 'दि फिलॉसफी ऑफ़ बम' कागजात तैयार करने वाले क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा की पत्नी दुर्गावती बोहरा क्रांतिकारियों के मध्य 'दुर्गा भाभी' के नाम से मशहूर थीं। सन 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की थी। तत्कालीन मुम्बई के गर्वनर हेली को मारने की योजना में टेलर नामक एक अंग्रेज़ अफसर जख्मी गए थे, जिस पर गोली दुर्गा भाभी ने ही चलायी थी।
परिचय: दुर्गावती देवी का जन्म 7 अक्टूबर सन 1907 को इलाहाबाद, यूपी के शहजादपुर नामक गाँव में पंडित बांके बिहारी के घर में हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और उनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन ज़िले में थानेदार के पद पर तैनात थे। उनके दादा पंडित शिवशंकर शहजादपुर में जमींदार थे, जो बचपन से ही दुर्गा भाभी की सभी बातों को पूर्ण करते थे। 10 साल की अल्प वर्ष में ही दुर्गा भाभी का शादी लाहौर के भगवतीचरण बोहरा के साथ हुई थी। दुर्गा भाभी के श्वसुर शिवचरण जी रेलवे में ऊंचे पद पर तैनात थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें 'राय साहब' का खिताब से नवाज़ा गया था।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ: क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा के साथ विवाह हो जाने के बाद दुर्गा भाभी शीघ्र ही वे अपने पति के कार्यों में सहयोग देने लगी थीं। उनका घर क्रांतिकारियों का आश्रयस्थल था। वे सभी का आदर करतीं, स्नेहपूर्वक उनका सेवा-सत्कार करतीं। इसलिए सभी क्रांतिकारी उन्हें 'भाभी' कहने लगे थे और यही उनका नाम प्रसिद्ध हो गया। अपने क्रांतिकारी जीवन में दुर्गा भाभी ने खतरा मोल लेकर कई बड़े काम किये। उनमें सबसे बड़ा काम था- लाहौर में लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले सांडर्स पर गोली चलाने के बाद भगतसिंह को कोलकाता पहुँचाना।
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