हनुमान चालीसा ही नहीं बल्कि इन मंत्रों और कवचों के पाठ से भी कर सकते है बजरंगबली को प्रसन्न
हनुमान चालीसा ही नहीं बल्कि इन मंत्रों और कवचों के पाठ से भी कर सकते है बजरंगबली को प्रसन्न
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हिन्दू धर्म में हनुमान जी की आराधना एकादश रुद्र के तौर पर की जाती है। पुराणों में हनुमान जी को शम्भु, रुद्राक्ष महादेवात्मज, रुद्रावतार, कपीश्वर आदि नामों से संबोधित किया गया है। रामचरितमानस में राम भक्त हनुमान का जो चरित्र प्राप्त होता है उससे यह साफ़ है कि स्वामी की भक्ति में हमेशा लीन रहने वाले कपीश्वर अपने स्वामी के खतरों में जितने सहायक हुए हैं उतने ही अपने श्रद्धालुओं पर भी कृपालु होते हैं। हनुमान जी की कृपा पाने के लिए अमूमन लोग भक्त के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, मगर हनुमान जी को जल्द ही खुश करने के लिए अनेक तरह के मंत्र, स्तोत्र, कवच आदि हैं, जिनका श्रद्धा के साथ पाठ करने पर हनुमान जी अपने श्रद्धालु की समस्याओं को दूर करने के लिए दौड़े चले आते हैं तथा सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। आइए हनुमत कृपा दिलाने वाले ऐसे ही दिव्य मंत्रों तथा कवचों के बारे में जानते हैं।

एकमुखी हनुमत्कवचम्:- हनुमत उपासन के लिए यह कवच प्रभु श्री रामचन्द्रजी के द्वारा ‘ब्रह्माण्ड पुराण’ में प्रकट हुआ है। परम्परा है कि यह कवच धारक की सभी कामनायें पूरी करता है।

पंचमुखी हनुमत्कवचम्:- हनुमत साधना के लिए यह बहुत तीव्र व जल्द प्रभावी कवच है। यह कवच दुर्लभ ग्रन्थ ‘सुदर्शन संहिता’ में दिया गया है।

सप्तमुखी हनुमत्कवचम्:- हनुमान जी की उपासना में इस कवच का दिन में तीन बार पाठ करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसके पाठ से भक्त के असाध्य रोग नष्ट होते है। मान-सम्मान व कीर्ति में फायदा होता है व दुश्मनों का नाश होता है।

एकादशमुखी हनुमत्कवचम्:- एकादशमुखी हनुमत्कवचम् का श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से साधक को किसी भी तरह के वाद-विवाद, भयानक कष्ट, ग्रह भय, जल, सर्प, दुर्भिक्ष, भयंकर शस्त्र तथा राजा से भय नहीं रहता है।

हनुमान साठिका:- हनुमान जी की आराधना के लिए यह साठिका आसान भाषा में तुलसीदासजी के द्वारा व्यक्त हुआ है। हनुमान साठिका का यह पाठ भव बन्धन का भंजन करता है, भक्तों का कल्याण करता है।

हनुमान चालीसा:- हनुमान जी की पूजा के लिए पढ़ी जाने वाली हनुमान चालीसा को श्रद्धालु शिरोमणि श्री गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है। किसी भी कामना की पूर्ति के लिए इसे सात बार या 101 बार पाठ करने की प्रथा है। पीपल या शमी वृक्ष के नीचे बैठकर इसका पाठ करने से शनि का प्रकोप शांत होता है।

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