यहाँ होती है हनुमानजी की स्त्री रूप में पूजा
यहाँ होती है हनुमानजी की स्त्री रूप में पूजा
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बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर. इसे महामाया नगरी भी कहते हैं. यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है. इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है. खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं. इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता. भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है.

ऐसी मान्यता है कि यह लगभग दस हजार वर्ष पुराना है. एक दिन रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू क़ा ध्यान अपनी शारीरिक अस्वस्थता की ओर गया. वे विचार करने लगे-मैं इतना बडा राजा हूं मगर किसी काम का नहीं. इस त्रास भरे जीवन से मर जाना अच्छा है.सोचते सोचते राजा को नींद आ गयी.राजा ने सपने में देखा कि संकटमोचन हनुमान जी  उनके सामने हैं, भेष देवी सा है, पर देवी है नहीं, लंगूर हैं पर पूंछ नहीं जिनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली है तो दूसरे हाथ में राम मुद्रा अंकित है दिव्य मंगलमयी मूर्ति ने राजा से एक बात कही. हनुमानजी ने राजा से कहा कि हे राजन् मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं. तुम्हारा कष्ट अवश्य दूर होगा. तू मंदिर का निर्माण करवा कर उसमें मुझे बैठा. इससे तुम्हारे शरीर में हुए कोढ़ का नाश हो जाएगा. राजा ने गिरजाबन्ध में मंदिर बनवाया. जब मंदिर पूरा हुआ तो राजा ने सोचा मूर्ति कहां से लायी जाए. एक रात स्वप्न में फिर हनुमान जी आए और कहा मां महामाया के कुण्ड में मेरी मूर्ति रखी हुई है. दूसरे दिन राजा अपने परिजनों और पुरोहितों को साथ देवी महामाया के दरबार में गए. वहां राजा व उनके साथ गए लोगों ने कुण्ड में मूर्ति की तलाश की पर उन्हें मूर्ति नहीं मिली.हताश राजा महल में लौट आए.

संध्या आरती पूजन कर विश्राम करने लगे. मन बैचेन हनुमान जी के दर्शन देकर कुण्ड से मूर्ति लाकर मंदिर में स्थापित करने को कहा है नींद का झोंका आते ही सपने में फिर हनुमान जी आ गए और करने लगे-  मैं वहीं हूं तूने ठीक से तलाश नहीं किया. जाकर वहां घाट में देखो जहां लोग पानी लेते हैं, उसी में मेरी मूर्ति पड़ी हुई है.राजा ने दूसरे दिन जाकर देखा तो सचमुच वह अदभुत मूर्ति उनको घाट में मिल गई.  फिर विधिविधान पूर्वक मूर्ति को मंदिर में लाकर प्रतिष्ठित कर दी और मंदिर के पीछे तालाब खुदवाया जिसका नाम गिरजाबंद रख दिया.मनवांछित फल पाकर राजा ने हनुमान जी से वरदान मांगा कि हे प्रभु, जो यहां दर्शन करने को आये उसका सभी मनोरथ सफल हो. 

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