बॉलीवुड में इन दिनों नेपोटिज्म के बारे में ही बात हो रही है. सभी इसी विषय पर बात कर रहे हैं फिर वह डायरेक्टर हो, एक्टर हो, सिंगर हो या गीतकार. ऐसे में इसी लिस्ट में हाल ही में शामिल हुए हैं निर्देशक सुधीर मिश्रा. उन्होंने एक ट्वीट के द्वारा इंडस्ट्री में निर्देशकों की हालत के बारे में बात की है. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'यहां निर्देशकों की शक्ति को छीनने का जानबूझकर प्रयास किया गया है. अब हर जगह सुपरवाइजर होते हैं.' वहीं उनके इस ट्वीट को देखने के बाद शेखर कपूर ने उन्हें एक बेहतरीन सलाह दी है.
There is deliberate attempt to take away the power of Directors . Now there are supervisors everywhere .
— Sudhir Mishra (@IAmSudhirMishra) June 27, 2020
वैसे केवल शेखर ने ही नहीं बल्कि हंसल मेहता और अपूर्व असरानी ने भी सुधीर के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. जी दरअसल सुधीर मिश्रा ने बीते शनिवार को सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखी. उनके ट्वीट को देखने के बाद रिट्वीट करते हुए शेखर ने लिखा, 'क्योंकि मैंने खुद कभी भी मॉनीटर का सेट पर इस्तेमाल नहीं किया. मैं एक्शन बोलने से पहले ही मॉनीटर स्विच ऑफ कर दिया करता था. और मुझे उन सो कॉल्ड सुपरवाइजर्स के चेहरे पर परेशानी देखना पसंद था. यदि कोई बराबरी से खड़ा रहता तो मैं कह देता था कि एक जगह पर दो निर्देशक नहीं हो सकते. अगर है तो उन्हें लात मारकर बाहर कर दो.'
Because i never use a monitor on set myself. I switch off the monitor just before i say ‘action’! I love the anxiety on the faces of the so called ‘supervisors’ on the set. And if there is a standoff, i say there cannot be two Directors in one film. Kick em out @IAmSudhirMishra https://t.co/xJCFuPb1J2
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) June 27, 2020
इसके अलावा हंसल मेहता और अपूर्व असरानी ने भी प्रतिक्रिया दी है. इस पर हंसल मेहता ने ट्वीट कर लिखा, 'हम लोगों को कला के क्षेत्र में बहुत ही भद्दे तरीके से रिप्रेजेंट किया गया है. इसलिए हम इनकी चपेट में आ गए.' वहीं हंसल के अलावा अपूर्व असरानी ने ट्वीट कर लिखा, 'अब खेल बदल रहा है. ये वापस स्टूडियो सिस्टम की तरफ जा रहा है. कॉर्पोरेट प्रभारी के साथ. इस कार्य को संतुलन के साथ करना होगा. निर्देशक को लोगों का और उनके अहंकार का प्रबंधक होना चाहिए.'
We are the most poorly represented creative community in India. And hence vulnerable.
— Hansal Mehta (@mehtahansal) June 27, 2020
The game is changing again. Its back to the studio system...with corporates in charge. So many salaries must be earned & justified. The process will have to be more collaborative. The director must be manager of people & ego's.
— Apurva (@Apurvasrani) June 27, 2020
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