चार आतंकियों से लोहा लेने वाले हंगपान का आज अंतिम संस्कार
चार आतंकियों से लोहा लेने वाले हंगपान का आज अंतिम संस्कार
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तिराप : असम रेजीमेंट के नॉन कमीशंड अधिकारी हंगपान दादा भले ही दुनिया से अलविदा कह गए हो, लेकिन उनकी वीरगाथा उनके सम्मान में हर किसी को सिर झुकाने पर विवश कर देती है। चीन से लगी सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले के रहने वाले हवलदार हंगपान दादा का आज उऩके गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मौसम बेहद खराब था, चारों ओऱ केवल धुंध, कई फुट तक केवल बर्फ ही बर्फ और ऊंचाई 12000 फीट थी, लेकिन उन्होने अपनी जान की परवाह किए बगैर डटे रहे और सेना की परंपरा को निभाते हुए वीरगति को प्राप्त कर गए। कश्मीर के लाइन ऑफ कंट्रोल के पास उन्होंने शमसाबरी रेंज में 12000 फुट की ऊंचाई वाले इलाके में पीओके की तरफ से घुसपैठ की कोशिश कर रहे चार आतंकियों से लोहा लिया।

ये आतंकी भारी हथियारों से लैस थे। जब दादा ने एलओसी पर आतंकी मूवमेंट देखी तो उन्हें मुठभेड़ के लिए ललकारने में जरा भी वक्त नहीं गंवाया। हंगपान अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे और घायल अवस्था में भी उन्होने मोर्चा संभाले रखा। पिछले साल ही उनकी इस ऊंचाई वाले जगह पर तैनाती हुई थी।

1997 में सेना की असम रेजीमेंट में शामिल होने वाले दादा 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। यह बल अभी आतंकवाद विरोधी अभियानों में हिस्सा लेता है। हंगपान अपनी मर्जी से आंतकियों से लड़ने गए थे। मौके पर ही दो आंतकी ढेर हो गए औऱ तीसरा पहाड़ी से लुढ़क कर मारा गया। एक आतंकी को उन्होने खुद गोली मारी।

अधिकारी ने बताया कि सुदूरवर्ती अरुणाचल प्रदेश में बोदुरिया गांव के निवासी दादा ने आतंकियों की ओर से भारी गोलीबारी के बीच अपने टीम के सदस्यों की जान बचाई। उनके शव को उनके पैतृक गांव ले जाया जा रहा है, जहां पर सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। उनके पीछे अब उनकी पत्नी, दस साल की बेटी और सात साल का एक बेटा है।

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