लिखते समय क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी लिखावट और आपके व्यक्तित्व का भी परिचय दे सकती है? भले ही लोग इन दोनों में कोई सामंजस्य न बैठा पाएं पर विश्लेषकों का मानना है कि हमारी लिखावट और हमारे व्यक्तित्व के बीच एक संबंध होता है, जिससे हमारे व्यक्तित्व का भी बोध होता है. जयपुर के 51 वर्षीय एक कारोबारी नवीन तोशनीवाल सदियों पुराने हस्तलेखों अध्ययन का विश्लेषण कर रहे हैं. वह इसका विश्लेषण करके मैनेजमेंट (प्रबंधन) के छात्रों और पेशेवरों को उनके व्यक्तित्व सुधार में मदद कर रहे हैं.
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इस मामले को लेकर केमिकल इंजीनियर से ग्राफो विश्लेषण यानी हस्तलेखन विश्लेषक बने तोशनीवाल ने बताया कि लिखावट के विश्लेषण की कला लगभग दो हजार ईसवी पुरानी है और दर्शनशास्त्री अरस्तु से जुड़ी है. अरस्तु ने ही मनुष्य के मन और उसकी लिखावट के बीच के संबंध का पता लगाया था. उन्होंने बताया कि कुछ दशकों पहले ही हस्तलेखन विश्लेषण को लोकप्रियता मिली है और अब इस कला का सहारा कर्मचारियों की भर्ती, छात्रों के मार्गदर्शन और करियर काउंसलिंग के लिए बड़े स्तर पर किया जा रहा है.
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अपने बयान में तोशनीवाला ने कहा, 'हस्तलेखन दरअसल मन लेखन है. यह हमारे मन में उठ रही बातों को कागज पर उतरवाता है, इसलिए लिखावट में बदलाव के लिए किया गया मामूली-सा प्रयास भी यह बताता है कि व्यक्ति अपने चरित्र में बदलाव लाना चाहता है.' उन्होंने कहा कि यदि लिखावट में बदलाव के लिए तीन से चार सप्ताह तक रोजाना पांच से सात मिनट भी अभ्यास किया जाए तो इससे व्यक्ति के व्यक्तित्व में बदलाव आ सकता है.
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