भारत सरकार के इस फैसले से हस्तशिल्प उद्योग को नुकसान, ट्रंप के दवाब में लिया फैसला
भारत सरकार के इस फैसले से हस्तशिल्प उद्योग को नुकसान, ट्रंप के दवाब में लिया फैसला
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नई दिल्लीः भारत सरकार ने निर्यातकों को एक्सपोर्ट पर पांच से सात फीसदी तक की प्रोत्साहन राशि को बंद कर दिया है। सरकार के इस कदम से मुरादाबाद के हस्तशिल्प उद्योग को करीब 500 करोड़ रुपये की हानि झेलनी पड़ेगी। मुरादाबाद का हस्तशिल्प उद्योग पहले ,से ही मंदी की मार झेल रहा है। ईपीसीएच के पूर्व प्रमुख सतपाल का कहना है कि सरकार की पूर्व घोषित आयात-निर्यात नीति के मुताबिक मार्च 2020 तक निर्यातकों को एमईआईएस लाइेंस मिलना था।

लेकिन विश्व व्यापार संगठन के दबाव में सरकार ने इसे बिना किसी पूर्व सूचना के वापस ले लिया है। सतपाल के अनुसार इसे खत्म करने का पता निर्यातकों को तब चला जब उन्होंने जुलाई के निर्यात पर एमईआईएस क्लेम करने के लिए डीजीएफटी की साइट पर आवेदन करना चाहा। एमईआईएस के लिए ऑनलाइन की आवेदन होता था। निर्यातकों को डीजीएफटी की साइट पर काफी ढूंढने के बाद भी एमईआईएस के आवेदन का कॉलम नजर नहीं आया।

पूर्व प्रमुख ने कहा कि जब उन्होंने इस बाबत वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों से बात की तो पता चला कि एक अगस्त को ही एमईआईएस को डीजीएफटी साइट से हटा लिया गया है। अब निर्यातकों को एमईआईएस नहीं मिलेगा। इसके बजाए सरकार दूसरी योजना लाने की तैयारी कर रही है। फिलहाल तक पीतल, एल्युमीनियम और कांच से बने उत्पादों के निर्यात पर केंद्र सरकार  कुल निर्यात का सात फीसदी प्रोत्साहन राशि और लकड़ी व लोहे से बने उत्पादों के निर्यात  पर कुल निर्यात का पांच प्रतिशत रकम प्रोत्साहन राशि के रूप में बतौर एमईआईएस लाइसेंस  देती थी।
 

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