G20 में शामिल होगा झाबुआ जिले का हलमा, राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू करेंगी शिरकत
G20 में शामिल होगा झाबुआ जिले का हलमा, राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू करेंगी शिरकत
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दिलीप सिंह वर्मा की रिपोर्ट

झाबुआ। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में आदिवासीयों के द्वारा चलाये जाने वाला हलमा कार्यक्रम इस बार देश के G20 और C20 आयोजन का हिस्सा बनने जा रहा है, उक्त जानकारी शिवगंगा के पद्मश्री प्राप्त श्री महेष शर्मा के द्वारा दी गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार G20 सम्मेलन इस साल भारत में होने वाला है, गैर व्यवसायिक और गैर सरकारी मत और अनुभव को भी इस मंच पर स्थान देने हेतु सरकार ने अलग-अलग फोरम बनाएं है, समाज की आवाज को सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पहुंचाने हेतु C20 नाम से सिविल सोसाइटी फोरम बनाया गया है। झाबुआ में आकार ले रहा, जन भागीदारी से अक्षय विकास का यह जन आंदोलन, शिवगंगा झाबुआ के माध्यम से G20 में शामिल होगा।

इस साल हलमा भी G20 C20 के एक कार्यक्रम के रूप में अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश देगा। इस साल का हलमा अनेक मायनों में विशेष रहने वाला है। पहली बार राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के भीलों समेत देश भर के विघार्थी, सामाजिक संस्थाऐं, उद्योग, शासन-प्रशासन के लोग इस सामाजिक आयोजन में भाग लेगें। झाबुआ में पिछले 2 महिने से इसके लिये तैयारी जोरो-शोरों से हेैं। घर-घर संपर्क अभियान और व्यवस्था निर्माण का कार्य प्रगति पर है।

क्या है हालमा
हलमा आदिवासी जनजाति में एक सामूहिक आयोजन को कहा जाता है जब भी किसी परिवार या गांव क्षेत्र में कोई आपत्ती आती है या व्यक्ति को या गांव को क्षेत्र को सहायता की आवश्यकता होती है तो पूरे के पूरे गांव के लोग एक जगह एकत्र होकर उसकी सहायता करते है। जैसे की किसी गांव में तालाब बनाना है, कुंआ खोदना है या फिर किसी किसान के पास खेत जोतने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं है तो ऐसे में पूरे गांव के लोग एकत्र होकर एक साथ मिलकर उस काम को पूरा करने के लिये जुटते है और कई दिनों, महिनों के काम को कुछ ही समय में पूरा कर देते है उसके बदले में कोई पारिश्रमिक नहीं लिया जाता खुशी से व्यक्ति उन एकत्रित लोगों को नाश्ता या भोजन अपनी इच्छा शक्ति से करवा देता है इस सामूहिक प्रयास को ही हलमा कहां जाता है। 

इस साल शिवगंगा के तहत झाबुआ मेें 25 व 26 फरवरी को दो दिवसीय हलमा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू भी आ रही है जोकि आदिवासीयों के इस सामूहिक प्रयास को देखेगी, झाबुआ के हाथिपावा क्षेत्र की पहाडी पर पर्यावरण संरक्षण और जल संवर्धन के कार्य को एक साथ हजारों आदिवासी गैति, फावडा, तगारी लेकर अंजाम देगें और हजारों की संख्या में कंटॅूर ट्रंचिंग पहाडी पर खोदेगें जिससे की बारिस में जल को रोका जा सके और जिससे झाबुआ के तालाबों व लेागों को पर्याप्त पानी मिल सके ऐसा करने से गा्रंउड वाटर लेवल बढ जाता है, इसी के साथ में इस पूरे पहाडी क्षेत्र में बडीसंख्या में वृक्ष लगाये जा रहे है यह कार्य पिछले लंबे समय से किया जा रहा है जिसके कारण आज हाथीपावा पहाडी क्षेत्र विकसित वन के रूप में पल्लवीत हो रहा है वहीं यहां कई प्रकार के वन्य जीव जंतु भी रहने लगे है जिनमें तेंदूआ, मोर, लोमडी, हिरन, निलगाय, बंदर आदि जानवर शामिल है। 

इस बार देश की महामहिम राष्ट्रपति, प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित कई राजनैतिक हस्तीयां इस आयोजन में शामिल होने जा रहा ही है, जिसके चलते झाबुआ में प्रशासनिक स्तर पर गतिविधियां तेज हो गई है जिला कलेक्टर रजनी सिंह ने पुलिस अधिकारीयों, राजनेतओं ओर शिवगंगा के पदाधिकारीयों सहित महामहिम के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिये तैयारीयां प्रारंभ कर दी है। झाबुआ जिले में इसके पहले भी पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम कालिदेवी क्षेत्र में जेट्रोपा की संभावना को तलाशने के लिये दौरा कर चुके है। यह दूसरी मर्तबा होगा जबकि कोई राष्ट्रपति आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले का भ्रमण कर आदिवासी संस्कृति को करीब से देखेंगी।

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