कल है हल छठ, इसलिए करती हैं महिलाएं व्रत
कल है हल छठ, इसलिए करती हैं महिलाएं व्रत
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कल यानी 1 सितम्बर को हिन्दू धर्म में हल छठ का पर्व मनाया जाता है जो कृष्ण जन्माष्टमी से 20 दिन पहले पड़ता है. आपको बता दें, ये त्यौहार कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है, इतना ही नहीं ये श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जयंती के रूप में भी मनाई जाती है. इसे आप बलराम जयंती भी कहते हैं जो 1 सितम्बर को पड़ रही है. इन्हें बलदेव, बलराम और बलदाऊ के नाम से जाना जाता है और इन्ही के जन्म के उपलक्ष में इस दिन को मनाया जाता है.

जन्माष्टमी के दो दिन पहले किया जाता है ये खास व्रत

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है है कि बलराम को हल और मूसल से खास लगाव था इसीलिए इस त्योहार को हल षष्ठी के नाम से जाना जाता है. इस त्यौहार को अन्य लोगों के साथ-साथ किसान लोग खास रूप से मनाते हैं और हल, मूसल और बैल की पूजा करते हैं और इसी से वो इस  पर्व को मनाते हैं दिन का खास बनाते हैं. इस दिन लोग व्रत रखकर पूजा कर कर कथा सुनते हैं और इसी विशेष दिन पर वो हल से जुती हुई अनाज व सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

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शास्त्रों का मानना है कि महिलाएं इस व्रत को संतान की लम्बी उम्र के लिए भी करती हैं जो लम्बी आयु के लिए बहुत ही प्रभावी माना जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर गोबर से दिवार पर छठ माता का चित्र बना कर उसकी पूजा करती हैं जिनके साथ माता पार्वती और गणेश जी का भी पूजन किया जाता है और कथा सुनी जाती है. इसी के बाद आता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जिसका उल्लास आप नगर-नगर देख ही सकते हैं.

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