आप सभी को बता दें कि आने वाले कल यानी 9 अगस्त 2020 को हल छठ है. जी दरअसल इस पर्व को गुजरात में राधन छठ कहा जाता है और उत्तर भारत में हल छठ. यह भाद्रपद यानी व्रत त्योहार और पूजापाठ के महीने में आती है. वैसे आप जानते ही होंगे भाद्रपद की शुरुआत 4 अगस्त से हो चुकी है और अब आज हलछठ है. ऐसे में आपको हम यह भी बता दें कि उत्तर भारत में इसे भगवान कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं वहीँ गुजरात में इसे राधन छठ के तौर पर मनाया जाता है.
इस दिन संतान की रक्षा करने वाली शीतला माता की पूजा होती है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके बारे में. जी दरअसल गुजरात के लोग इस त्योहार को प्रमुखता से मनाते हैं. कहा जाता है यहां इस दिन शीतला माता का पूजन होता है. वहीँ राधन छठ के अगले दिन शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है और इस दिन यहां घरों में चूल्हे नहीं जलाते हैं. यह एक बड़ी पुरानी परंपरा है. इस कारण राधन छठ के दिन यहां महिलाएं अगले दिन के लिए भी खाना पकाकर पहले ही रख लेती हैं और फिर उसके अगले दिन मंदिर में कथा सुनने के बाद पहले से बना हुआ ठंडा भोजन का सेवन करते है.
अब बात करें उत्तर भारत की तो यहाँ जन्माष्टमी से पहले आने वाली इस छठ को हल षष्ठी के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है यहाँ इस दिन महिलाएं संतान के बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना हेतु व्रत रखती हैं. इसके अलावा इस दिन व्रती महिलाएं हल से जोती हुई किसी भी चीज का सेवन करना उचित नहीं समझती हैं. आपको बता दें कि हल छठ का दिन बलरामजी को समर्पित होती है और उनका प्रमुख शस्त्र हल था, इस कारण हल जोतकर उगाई हुई चीजों को नहीं खाते है. आपको बता दें कि भगवान बलराम को शेषनाग के अवतार के रूप में पूजा जाता है, जो भगवान विष्णु की शैय्या के रूप में जाने जाते हैं.
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