हज यात्रा के दौरान करने पड़ते हैं ये काम...!!!
हज यात्रा के दौरान करने पड़ते हैं ये काम...!!!
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हज यात्रा का सफर शुरू हो चुका है। इस साल तकरीबन 20 लाख लोग यात्रा के लिए जाएंगे। सऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। हर साल लाखों लोग यहां पर पहुंचते है। लेकिन हज यात्रा पर जाने के लिए शारीरिक और आर्थिक रूप से हज करने में सक्षम होना जरूरी होता है। हज यात्रा करना मुस्लिमों के लिए जन्नत के द्वार खुलने जैसा प्रतित होता है। आपको बता दें कि हज यात्रा करने वाले को इस्तिताह कहा जाता है, वहीं जो मुस्लिम इसे पूरा करता है उसे मुस्ताती कहते है। लेकिन हज यात्री आखिर करते क्या है? यह बहुत कम लोग जानते है तो आइए हम आपको बताते है - 

इहराम  - इसमें श्रद्धालुओं को खास तरह के कपड़े पहनना होते है। पुरूष बिना सिलाई के सफेद कपड़े पहनते है जिन्हें चोगा कहते है। वहीं महिलाएं सफेद रंग के खुले कपड़े पहनती है, जिसमें उनके सिर्फ हाथ और चेहरा दिखता है। इस वक्त में उन्हें कई चीजों से परहेज करने  की सलाह दी जाती है जैसे - लड़ाई - झगड़े, बाल व नाखून काटने, सेक्स करने जैसी चीजों से सावधान रहना होता है।

तवाफ - मक्का में पहुंचने के बाद में श्रद्धालु तवाफ करते हैं, जिसका मतलब होता है वह काबा का 7 बार घड़ी की विपरित दिशा में उसके चक्कर लगाते है। 

अक तक उमरा - इसका मतलब अब तक जो हुआ वह हज नहीं है। इसे उमरा कहा जाता है। हज पर गए यात्रियों द्वारा मुख्य रस्में इसके बाद में शुरू होती है। शनिवार से इसकी शुरूआत होती है। हाजी जब मुख्य मस्जिद से 5 किमों दूर एक मीना पहुंचते हैं। 

जबल उर रहमा - इसके बाद अगले दिन सभी यात्री जबल उर रहमा नामक पहाड़ी के पास जमा होते है। यह मीना से 10 किमी दूर अराफात पहाड़ी के आस पास जमा होकर सभी जन एक साथ नमाज अदा करते है। 

मुजदलफा - सूर्य अस्त होने के बाद में यात्री अराफत और मीना के बीच में स्थित मुजदलफा जाते हैं। आधी रात में सभी हाजी वहीं रहते है। वहंा पर वह शैतान को मारने के लिए अपने पास पत्थर जमा करते है। 

फिर ईद - इसके अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है। सभी यात्री हाजी मीना लौटते है। वहां पहुंचकर वह रोज 3 बार पत्थर मरकर रस्म निभाते है। वहीं आमतौर पर 7 पत्थर मारने होते है। 

पहली बार के बाद - जी हां, मीना पर 3 बार पत्थर मारने के बाद में बकरे हलाल किए जाते है। जिसे जरूरतमंद लोगों को बीच में मांस को बांटा जाता है। बकरा हलाल करना मतलब अब्राहम के अल्लाह की बदौलत अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी को प्रतीक माना जाता है। 

सफाई - इसके बाद में हाजी अपने बाल कटाते है। पुरूष अपने पुरे बाल साफ कराते है वही महिलाएं अपना एक बाल कटाती है। इसके बाद में वह फिर अपने सामान्य कपड़े पहन लेते है। 

फिर से तवाफ - हज यात्रा यहीं पर खत्म नहीं होती है। इसके बाद हाजी फिर से मक्का की मुख्य मस्जिद में लौटते है फिर काबा के 7 चक्कर लगाते है। 

पत्थर - सभी यात्री फिर से मीना जाते है। वहां पर जाकर फिर से 2 से 3 दिन तक पत्थर मारने की रस्म निभाते है। 

फिर काबा - इसके बाद में फिर से सभी हाजी काबा लौटते है वहां पर वह 7 चक्कर लगाते है। इसके बाद में उनकी हज यात्रा पूरी होती है। 

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