नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को भव्य बनाने के क्रम में मंदिर प्रशासन को बड़ी कामयाबी मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, काशी विश्वनाथ परिसर के रेड जोन में पड़ने वाली 1700 स्क्वायर फीट भूमि को मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम कर दिया है। इसके एवज में उन्हें मंदिर प्रशासन की ओर से 1000 स्क्वायर फीट जमीन मिली है। ये जमीन मंदिर से कुछ दूर बांसफाटक इलाके में स्थित है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की तरफ से पहले ही इस मामले पर सहमति वार्ता के दौरान बनी थी। इसके बाद 1700 स्क्वायर फीट मंदिर प्रशासन को दे दी गई। बताया जा रहा है कि यह जमीन के एवज में जमीन देने का मामला होने से इसे कॉरिडोर के लिए जमीन खरीद का मामला नहीं माना जाएगा। आर्टिकल 31 के एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत जारी डाक्यूमेंट्स में ई स्टांप के माध्यम से इस संपत्ति का ट्रांस्फर किया गया है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की तरफ से 9 लाख 29 हजार रुपए की स्टांप ड्यूटी चुकाकर संपत्ति का ट्रांसफर किए जाने की जानकारी सामने आई है।
बता दें कि 1991 से काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामला अदालत में चल रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ से स्वयंभू विश्वेश्वर महादेव के नाम से हिंदू पक्षकार हैं। वहीं ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पक्षकार हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण में सुरक्षा के लिहाज से यह भूमि का टुकड़ा बेहद अहम था, जो अब मंदिर प्रशासन के नाम हो गया है।
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