ज्ञानवापी का चप्पा-चप्पा देखने वाले कैमरामैन ने किया बड़ा खुलासा
ज्ञानवापी का चप्पा-चप्पा देखने वाले कैमरामैन ने किया बड़ा खुलासा
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काशी के ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट कमीशन के लिए फोटोग्राफी करने वाले गणेश शर्मा ने हाल ही में एक मशहूर वेबसाइट से बातचीत की। इस बातचीत में गणेश शर्मा ने बताया कि 'जहां-जहां मुझे कमीशन ने कहा, मैंने चप्पे-चप्पे पर फोटोग्राफी की। जब हम परिसर में घूम रहे थे तो धार्मिक भावनाएं जैसा कोई माहौल नहीं था। वहां शिवलिंग छूना, प्रणाम करना और हर-हर महादेव बोलना वर्जित था।' इसके अलावा शर्मा ने ये भी बताया कि, 'परिसर में जहां काला पत्थर मिला है और जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है, वह काशी मंदिर मंदिर में स्थापित शिवलिंग जैसा है।'

इसके अलावा उन्होंने कहा कि, 'जिसे लोग शिवलिंग कह रहे हैं, वह काला चमकीला पत्थर है और पर्वतआकार है। मीडिया में जो दिखाया जा रहा है वह शिवलिंग जैसा है और नीचे से ऊपर एक जैसा लगता है। प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है जैसा ऊपर है वैसा ही नीचे ही होगा। लेकिन यह पर्वत आकार है। ऊपर जैसा है, वह नीचे काफी चौड़ा हो जाता है और पर्वत आकार हो जाता है।' इसी के साथ आगे उन्होंने कहा- 'कोर्ट कमीशन ने जब उसके व्यास को नापा तो वह 12 फीट निकला। यह काला चमकीला पत्थर है। काफी समय से पानी में डूबा हुआ है, लेकिन उसकी चमक में कोई अंतर नहीं है। जैसा काशी विश्वनाथ मंदिर में काला चमकीला पत्थर है, ठीक उसी जैसा लग रहा है। वहां मौजूद जेई ने उसकी पूरी नापजोख की। ये पत्थर वहां कहीं से रखा नहीं गया, बल्कि वहां जमा हुआ है। उसे हाथी भी नहीं हिला सकता।' इसी के साथ आगे उन्होंने कहा कि, 'जानकार लोग इसे बताएंगे कि यह क्या है, लेकिन जो मैंने देखा। जो आकृति मुझे दिखी। वह पानी में 6 इंच डूबा हुआ था। जब अगर कोई चीज पानी में डूबी हो तो वह फव्वारा कैसे थ्रो करेगी। सिर्फ ऊपरी हिस्सा दिख रहा है और उससे अनुमान यह लग रहा है कि जैसा ऊपर है, वैसा ही नीचे होगा लेकिन ऐसा है नहीं। एक कोर्ट कमिश्नर ने मौके पर मौजूद लोगों से कहा कि अगर यह फव्वारा है तो इस चालू करके दिखाइए। लेकिन उन लोगों ने कहा कि यह चालू नहीं हो सकता है।'

आगे उन्होंने कहा- 'अब यह मांग की जा रही है कि परिसर के नीचे की दीवारों को भी खोल कर देखा जाए कि क्या यह शिवलिंग नीचे तक जाता है लेकिन पीछे मुझे एक चीज दिखाई पड़ी- एक पत्थर का फ्रेम दिखा। करीब एक डेढ़ फीट होगा। मुझे लगता है वह कभी शिवलिंग का अरघा रहा होगा। अगर हम बनारस का तिलभांडेश्वर महादेव का शिवलिंग देखें तो यह जमीन से 15 फीट ऊपर है और कुछ ऐसा हो सकता है कि ऊपर का जो शिवलिंग है उसके नीचे इस तरीके का हो। जब ये स्ट्रक्चर मिला तो नापा गया कि नंदी से कितनी दूरी में है और मस्जिद के नीचे जिसे गर्भगृह कहा जा रहा है वहां से इसकी कितनी लंबाई है। जब दोनों को नापा गया तो नंदी के ठीक नाक के सीध में यह काला पत्थर मिला और गर्भगृह से भी ठीक नाक की सीध में मिला। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिखा कि वह फव्वारे या उस स्ट्रक्चर में कहीं पानी की कोई सप्लाई हो रही हो। डिमांड यह है कि नीचे की दीवारों को खोल कर देखा जाए कि उसकी गहराई कितनी है। वहीं, जो वायरल वीडियो है वह पूर्व में कभी सफाई के दौरान खींचा गया होगा।'

इसके अलावा उन्होंने कहा, 'एक बात और बताना चाहूंगा, जो खास है और मीडिया में नहीं आया है। वो मुख्य गुंबद के नीचे पत्थर दिखना है। इस पत्थर में तीन तरफ से हिंदू कलाकृतियां दिखाई दे रहीं हैं। मुख्य गुंबद के नीचे इतना बड़ा हिंदू पत्थर होना एक बड़ी चीज है। बाकी दोनों गुंबदों में हमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दिया, वह बिल्कुल सपाट था, लेकिन मुख्य गुंबद के नीचे हिंदू पत्थर पर तीन तरफ से बनी हुई कलाकृति दिखाई दीं। पश्चिमी दीवार की तस्वीरें सबके सामने हैं। पश्चिमी दीवार को विध्वंस की दीवार कहा जा रहा है, उसमें करीब 30 फीट ऊपर 4 लाइनों का एक मंत्र लिखा हुआ मिला है। संस्कृत जैसा श्लोक है और जब बड़े स्क्रीन से पढ़ा जाएगा तब पता चलेगा। करीब 25 से 30 सीटों पर पश्चिमी दीवार पर यह मिला है। जो पुरानी तस्वीर देख रहे हैं, उसमें घंटे की तस्वीर बनी हुई है, उसके दाहिने तरफ ये श्लोक है।'

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