ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय ने शुरू की नई पहल, अब बनाएगा खुद का कागज़
ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय ने शुरू की नई पहल, अब बनाएगा खुद का कागज़
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ग्वालियर: पेड़ों की संख्या को लेकर ग्वालियर का जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन खासा परेशान दिखाई दे रहा है, यही वजह है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी ने पहले पेड़ लगाने के लिए अभियान चलाया और पूरे परिसर को हरा भरा कर दिया. अब पेड़ बचाने के लिए विश्वविद्यालय ने एक और पहल शुरू की है. जीवाजी प्रबंधन अपने इस्तेमाल होने वाले कागज कॉपियों को रिसाइकल कर हैंड मेड कागज बनाने का फैसला किया है. इस कागज का इस्तेमाल जीवाजी प्रबंधन अपने लिए करेगा.

इसके साथ ही जो कागज़ बचेंगे उसे बाजार में बेच दिया जाएगा. जेयू की कार्यपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है. इसके लिए मशीन खरीदने का कार्य इस महीने आरंभ हो जाएगा. जेयू में प्रति वर्ष कई टन कागज का उपयोग होता है ,यह कागज उपयोग होने के बाद रद्दी के भाव में बेच दिया जाता है. 6 माह पूर्व प्रबंधन ने वेस्ट मैनेजमेंट का प्रस्ताव बनाया था इसमें कागज को रिसाइकिल करने का प्रस्ताव भी शामिल किया गया था.

इस प्रस्ताव को की बैठक में रखा गया जहां से इसे अनुमति मिल गई. जेयू में प्रति वर्ष लगभग 25 टन रद्दी निकलती है. यह रद्दी परीक्षा की कॉपियों, विभिन्न विद्यालयों आंतरिक मूल्यांकन समेत रोजमर्रा के इस्तेमाल के कागजों की होती है. मिली जानकारी के अनुसार सामान्य तौर पर जो कागज बनाए जाते हैं उन्हें बनाने में 10 से 15 वर्ष पुराने पेड़ों का इस्तेमाल होता है, क्योंकि इसमें सैलूलोज और लिगनेन की मात्रा अधिक होती है.

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