ग्वालियर। मध्यप्रदेश में ग्वालियर हाईकोर्ट की युगलपीठ ने अपने उस पूर्ववर्ती आदेश को संशोधित किया है जिसके अंतर्गत SIT पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जिम्मेदारी लोकायुक्त को दी गई थी। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने SIT पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सुष्मता से जाँच प्रक्रिया के लिए इसकी जांच की जिम्मेदारी CBI के हाथो में सौंपी है। विवेक खेड़कर जो की CBI के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने इस मामले में एक शपथ पत्र पेश कर इसकी निष्पक्ष जांच के लिए अपनी और से सहमति दी थी, जिसके तहत हाईकोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की युगलपीठ के इस आदेश के बाद अब SIT की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं।
अदालत के अधिवक्ता उमेश कुमार बौहरे ने बुद्धसिंह हिंडोलिया की जमानत की सुनवाई के समय कहा की SIT लोगो को रुपयो के लिए परेशान कर रही है. इसके लिए हाईकोर्ट ने रिश्वत के केस में डॉ. राजेन्द्र तरेटिया व डॉ. सत्येन्द्र टैगोर के शपथ पत्र की मांग की थी. तथा डॉ. राजेन्द्र तरेटिया व डॉ. सत्येन्द्र टैगोर ने कोर्ट को दिए गए अपने शपथ पत्र में SIT पर आरोप लगाया था की हमने इनकी प्रताड़ना से बचने के लिए 15-15 हजार रुपए दिए थे.
जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसकी जाँच के लिए 6 जुलाई को लोकायुक्त को आदेश दिए थे. जिसके बाद लोकायुक्त ने एक याचिका दायर कर तथ्य रखे कि मौत व व्यापमं घोटाले की जांच CBI कर रही है। रिश्वत मांगने के जो आरोप लगाए गए हैं, वे भी व्यापमं घोटाले से जुड़े हैं। इसलिए इन आरोपों की जांच भी सीबीआई ही करे। खबर है की सीबीआई की सहमति के बाद ही हाईकोर्ट ने जाँच का आदेश दिया है.