आज है शहीदी दिवस, औरंगजेब ने कटवाया था गुरु तेग बहादुर का सिर
आज है शहीदी दिवस, औरंगजेब ने कटवाया था गुरु तेग बहादुर का सिर
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आज सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि है जिसे शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. आप सभी को बता दें कि गुरु तेग बहादुर 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे और कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुरु तेग बहादुर 11 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे. कहा जाता है मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को सिर कटवा दिया था और औरंगजेब चाहता था कि सिख गुरु इस्लाम स्वीकार कर लें लेकिन गुरु तेग बहादुर ने इससे इनकार कर दिया था.

वहीं गुरु तेग बहादुर के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें “हिंद दी चादर” कहते थे. आपको बता दें कि मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है और गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था. वहीं उनका असली नाम त्याग मल था और उन्हें “करतारपुर की जंग” में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद तेग बहादुर नाम मिला. इसी के साथ 16 अप्रैल 1664 को वो सिखों को नौवें गुरु बने थे और गुरु तेग बहादुर की मुगल बादशाह औरंगजेब से अदावत की शुरुआत कश्मीरी पंडितों को लेकर हुई. कहा जाता है कश्मीरी पंडित मुगल शासन द्वारा जबरदस्ती मुसलमान बनाए जाने का विरोध कर रहे थे और उन्होंने गुरु तेग बहादुर से अपनी रक्षा की गुहार लगाई थी. ऐसे में गुरु तेग बहादुर ने उन्हें अपनी निगहबानी में ले लिया और मुगल बादशाह इससे बहुत नाराज हुआ.

वहीं जुलाई 1675 में गुरु तेग बहादुर अपने तीन अन्य शिष्यों के साथ आनंदपुर से दिल्ली के लिए निकले और इतिहासकारों के अनुसार गुरु तेग बहादुर को मुगल फौज ने जुलाई 1875 में गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद उन्हें तीन-चार महीने तक दूसरी जगहों पर कैद रखने के बाद पिंजड़े में बंद करके दिल्ली लाया गया जो मुगल सल्तनत की राजधानी थी और ऐसी मान्यता है कि चार नवंबर 1675 को गुरु तेग बहादुर को दिल्ली लाया गया था और मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर से मौत या इस्लाम स्वीकार करने में से एक चुनने के लिए कहा.

वहीं उन्हें डराने के लिए उनके साथ गिरफ्तार किए गए उनके तीन ब्राह्मणों अनुयायियों का सिर कटवा दिया गया लेकिन गुरु तेग बहादुर नहीं डरे और उनके साथ गिरफ्तार हुए भाई मति दास के शरीर के दो टुकड़े कर दिए गये, भाई दयाल दास को तेल के खौलते कड़ाहे में फेंकवा दिया गया और भाई सति दास को जिंदा जलवा दिया गया. कहते हैं गुरु तेग बहादुर ने जब इस्लाम नहीं स्वीकार किया तो औरंगजेब ने उनकी भी हत्या करवा दी थी.

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