'मेरा चेला चरित्रहीन नहीं है, यह चमत्कार है', धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में उतरे गुरु श्रीराम भद्राचार्य
'मेरा चेला चरित्रहीन नहीं है, यह चमत्कार है', धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में उतरे गुरु श्रीराम भद्राचार्य
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छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में उनके गुरु एवं तुलसी पीठाधीश्वर श्रीराम भद्राचार्य उतर आए हैं। श्रीराम भद्राचार्य ने कहा है कि उनके शिष्य धीरेंद्र पर प्रश्न करने वाले लोग हिंदू तो हैं, किन्तु जयचंद हैं। धमकी मिलने के पश्चात् गुरु ने अपने शिष्य को सुरक्षा देने की मांग की है।  

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे श्रीराम भद्राचार्य ने कहा, "लोग धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मेरा चेला परंपरा से मिला प्रसाद बांटता है। उन्होंने आगे कहा कि श्याम मानव ने अंधविश्वास की गलत शिकायत की। जब चादर चढ़ाया जाता है अजमेर शरीफ पर तब अंधविश्वास नहीं है क्या। जब विधर्मी भिन्न-भिन्न चर्चा करते हैं तब अंधविश्वास नहीं है क्या। ये सत्य है अंधविश्वास नहीं। आगे उन्होंने कहा- मेरा चेला चरित्रहीन नहीं है, यह चमत्कार है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर प्रश्न करने वाले हिंदू, लेकिन जयचंद्र हैं। उन्हें धमकी प्राप्त हो रही हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाए।" वहीं, भोपाल का नाम बदलने की बात पर श्रीराम भद्राचार्य ने कहा, "भोपाल का नाम फिर से भोजपाल होना चाहिए, जब होशंगाबाद का नर्मदापुरम किया जा सकता है, तो भोपाल को भोजपाल क्यों नहीं किया जा सकता? भोजपाल का नाम भोपाल मुसलमानों एवं आक्रांताओं ने किया है।" इसके अतिरिक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के पुलवामा और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने पर भद्राचार्य ने कहा, "वो कौन होते हैं सबूत मांगने वाले? हम सबूत दे चुके हैं। सेना सबूत दे चुकी है। सेना पर इस प्रकार के सवाल करना गद्दारी है। 

क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री कथा वाचक हैं। वह दावा करते हैं कि वे मन की बात जान लेते हैं। उनकी कथा के वीडियो जमकर वायरल होते रहते हैं, जिसमें वे ऐसा करते नजर आते हैं। लोकप्रियता बढ़ी तो धीरेंद्र शास्त्री को देश के अलग-अलग प्रदेशों से कथा के लिए बुलावा आने लगा। ऐसी ही एक कथा में वह नागपुर गए हुए थे। यह कथा 13 जनवरी तक चलनी थी मगर शास्त्री 11 जनवरी को ही वापस लौट गए। महाराष्ट्र की एक संस्था है- अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति। इस संस्था के श्याम मानव ने बोला- धीरेंद्र शास्त्री के नाम पर जादू-टोना करते हैं तथा अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने पुलिस से धीरेद्र शास्त्री के विरुद्ध कार्रवाई करने की भी मांग की। महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून है जिसमें अंधविश्वास फैलाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। संस्था ने इसी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। समिति ने 30 लाख की चुनौती भी दे डाली कि धीरेंद्र शास्त्री अपने दिव्य दरबार में जिन चमत्कारों का दावा करते हैं, उन्हें आकर उसके मंच पर दिखाएं। ऐसा करते हैं तो उन्हें 30 लाख रुपये दिए जाएंगे मगर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार नहीं की। बल्कि, जैसा ऊपर बताया गया है वह दो दिन पहले ही कथा ख़त्म करते वापस लौट गए। इस पर धीरेंद्र शास्त्री मंच को लेकर एक वर्ग सोशल मीडिया पर दावा करने लगा कि वो डरकर भाग गए। हालांकि काफी सारे लोग उनके समर्थन में भी लिख रहे हैं। 

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