पत्नी से अलग होकर शराब में डुब गए थे गुरु दत्त, आत्महत्या से पहले भी खूब पी थी शराब
पत्नी से अलग होकर शराब में डुब गए थे गुरु दत्त, आत्महत्या से पहले भी खूब पी थी शराब
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गुरु दत्त, बॉलीवुड का एक ऐसा नाम जिसे सुनकर साड़ी पुरानी फिल्मों की याद आ जाती है. आप सभी को बता दें कि आज ही के दिन गुरु दत्त ने इस दुइया को अलविदा कह दिया था. गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925, में हुआ था और उन्होंने 10 October 1964, में दुनिया को अलविदा कह दिया. वह एक एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर थे और उनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है क्योंकि उनके कई किस्से थे. आपको बता दें कि 'गुरु दत्त' का वास्तविक नाम "वसंथ कुमार शिवशंकर पादुकोण" था और 10 अक्टूबर 1964 को सिर्फ 39 बरस की उम्र में उन्होंने खुदकुशी कर ली. कहा जाता है गुरु दत्त की वैसी मौत अब सिर्फ एक दर्दनाक ब्यौरा बनकर रह गई है, लेकिन उनकी 'प्यासा', 'कागज के फूल' और 'साहब, बीबी और गुलाम' जैसी फिल्में आज भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमर हैं.

ऐसे में गुरु दत्त को लोग बंगाली जरूर समझते थे पर वो बंगाली नहीं थे बल्कि गुरु दत्त बंगलौर (बंगलुरु) में जन्मे थे, हिन्दी या उर्दू उनकी मातृभाषा नहीं थी, लेकिन उनकी शिक्षा देश की तत्कालीन सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता में हुई. वहीं गुरु दत्त का दिल स्कूल की किताबों में नहीं लगता था और बचपन में एक तस्वीर को देख गुरु दत्त इतने प्रभावित हुए कि नृत्य सीखने की इच्छा उन्हें नृत्य विश्वगुरु उदय शंकर के पास ले गई. उसके बाद गुरु दत्त ने देव आनंद की फिल्म 'बाजी' (1951) का पहली बार पूरा डायरेक्शन किया और इस फिल्म के बाद हिंदी सिनेमा ने गुरु दत्त को एक अलग मुकाम दे दिया. वहीं कागज के फूल फिल्म के गाने वक्त ने किया क्या हसीं सितम...तुम रहे न तुम, हम रहे न हम.... को उनकी वजह से ही अच्छा आयाम मिला और इस फिल्म के बाद गुरु दत्त की कहानी में ऐसा ट्विस्ट आया जो उनके सफर को हमेशा के लिए बदल गया. वहीं उसके बाद उनकी मुलाकात गायिका गीता रॉय से हुई और उन्हें उनसे प्यार हो गया. साल 1953 में गुरु दत्त और गीता रॉय विवाह बंधन में बंध गए लेकिन दोनों जल्द अलग हो गए.

उसके बाद 10 अक्टूबर 1964 का दिन गुरु दत्त देर रात तक अबरार अल्वी से फिल्म बहारें फिर भी आएंगी पर चर्चा करते रहे और फिर दोनों ने साथ मिलकर शराब पी और खाना खाया. वहीं करीब एक बजे गुरु दत्त अचानक से उठे और अपने कमरे में चले गए. कहा जाता है उस दिन वो अपनी बेटी से मिलना चाहते थे लेकिन अलग होने के बाद गीता ने कभी उन्हें अपनी बेटी को से नहीं मिलने दिया. वहीं उस रात को उन्होंने नींद की गोलियां पानी में घोल कर खा ली थीं और उनके टेबल पर खाली शीशी पड़ी हुई थी. आज भी गुरु दत्त को लोग बहुत याद करते हैं और वह लोगों के दिलों में जीवित हैं.

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