यहाँ जानिए गुप्त नवरात्र के साधना का काल
यहाँ जानिए गुप्त नवरात्र के साधना का काल
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नवरात्र वर्ष में चार बार क्रमश: माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन महीने में आती है और इनमें चैत्र माह की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं. वहीं बाकी बची दो आषाढ़ और पौष-माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. इस समय गुप्त नवरात्रि चल रही है जो बीते 22 जून से शुरू हुई है. ऐसे में गुप्त नवरात्रियों में दस महाविद्याओं की पूजा और साधना का महत्व है.

कहा जाता है गुप्त नवरात्रि का महत्व विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का सबसे उत्तम समय माना गया है. आपको बता दें कि गुप्त नवरात्रि में ये देवियां साधक को खुशहाली, सुख-सौभाग्य और लंबी उम्र का वरदान देती हैं. इसी के साथ पुराने धर्मग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शिव तथा देवी शक्ति की आराधना करते हैं. वहीं गुप्त नवरात्रि में मां शक्ति के स्वरूप की पूजा करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति तथा साधक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं साधना का काल.

साधना का काल : जी दरअसल गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है. ऐसे में इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं. इसी के साथ इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं. वहीं इस नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है, लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है. इस दौरान रात के काल में साधना की जाती है और रात का 11 बजे से 12 बजे का या उसके बाद का समय उचित माना जाता है.

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