गुलज़ार शायरी: वक्त कटता भी नही, वक्त रुकता भी नही, दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नही
गुलज़ार शायरी: वक्त कटता भी नही, वक्त रुकता भी नही, दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नही"
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1- इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।

2- तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए
और मेरे दिन भी गुजर गए.

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