दलित की पीट-पीटकर हत्या के मामले में चार लोग हिरासत में
दलित की पीट-पीटकर हत्या के मामले में चार लोग हिरासत में
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राजकोट: एक दलित की पीट-पीटकर निर्ममतापूर्वक की गई हत्या के मामले में  गुजरात के राजकोट पुलिस ने सोमवार को चार लोगों को हिरासत में लिया है. साथ राज्य सरकार ने पीड़ित के परिजनों के लिए 8.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. पुलिस अधिकारी श्रुति मेहता ने कहा, ‘मुकेश वानिया (40) को राजकोट जिले के शापर-वेरावल क्षेत्र के रडाडिया इंडस्ट्रीज के कर्मचारियों और फैक्ट्री मालिक ने चोरी के शक में बांधकर बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी रविवार देर रात मौत हो गई. उसपर फैक्ट्री से कुछ चुराने का आरोप लगाया गया था.' 

पूरा घटनाक्रम वहां एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया और बाद में फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके साथ ही वडगाम के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने इस खबर को ‘हैशटैग गुजरात इज नॉट सेफ’ के साथ ट्वीट किया. यह घटना उस समय घटी, जब वानिया और उसकी पत्नी चंपाबेन रडाडिया इंडस्ट्रीज के पास कूड़ा बीनने के अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त थे. फैक्ट्री मालिक जयसुख रडाडिया को शक हुआ कि मुकेश फैक्ट्री से कुछ चुराने की कोशिश कर रहा है. उसने और उसके कर्मचारियों ने मुकेश और उसकी पत्नी को पकड़ लिया और एक के बाद एक छड़ी से पिटाई शुरू कर दी. उनलोगों ने चंपाबेन की पिटाई करने के बाद उसे जाने दिया लेकिन मुकेश की पिटाई जारी रखी. वे लोग उसे दर्द से तड़पता छोड़ वहां से चले गए, जिसके बाद चंपाबेन कुछ लोगों को साथ लेकर वहां आई और वानिया को राजकोट सिविल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.


मेहता ने कहा, ‘उसने फैक्ट्री मालिक और कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई. जयसुख रडाडिया और उसके सहयोगी चिराग वोरा, दिव्येश वोरा और तेजस जाला को गिरफ्तार कर लिया गया है.’ राज्य के गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिन्ह जडेजा ने कहा, ‘एफआईआर के अनुसार, आरोपियों के विरुद्ध हत्या की धारा 302 और गैर इरादतन हत्या की धारा 308 और अत्याचार अधिनियम के कई मामलों लगाए गए हैं.’ 

उन्होंने कहा, ‘पीड़ित परिवार ने वित्तीय पैकेज, पांच एकड़ जमीन, एक घर, आरोपियों को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने (पब्लिक शेमिंग), 10,000 रुपये प्रतिमाह देने की मांग की है. राज्य सरकार ने अत्याचार अधिनियम के तहत 8.25 लाख रुपये देने की घोषणा की है.।’ गुजरात के सामाजिक न्याय मंत्री ईश्वर परमार ने आधिकारिक बयान में कहा, ‘फिलहाल हमने घोषित राशि का लगभग आधा हिस्सा उपलब्ध करा दिया है और मामले में आरोप-पत्र दाखिल हो जाने के बाद बाकी की राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त परिवार के चार लोगों के लिए घरेलू सामान के लिए प्रत्येक को 500 रुपये तीन महीने तक दिए जाएंगे.’ 

 

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