सिर पर मंडरा रहा है वैश्विक मंदी का खतरा
सिर पर मंडरा रहा है वैश्विक मंदी का खतरा
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नई दिल्ली : चीन की घटती ग्रोथ के कारण वैश्विक मंदी का अनुमान लगाया जा रहा है, यह भी बताया जा रहा है कि यह ना केवल चीन की धीमी चाल के कारण हो रहा है बल्कि यह "करेंसी वॉर" साबित होता जा रहा है. गौरतलब है कि वैसे भी इस समय वैश्विक विकास IMF के द्वारा लगाये गए अनुमान से भी निचे चला गया है और इस कारण इमर्जिंग मार्केट्स भी काफी मंद नजर आ रहे है.

आपको यह भी बता दे कि एक के बाद एक मुद्रा डॉलर के मुकाबले गिरती ही जा रही है. आपको यह भी बता दे कि जहाँ एक तरफ ब्राजील का रियाल 23 प्रतिशत कमजोर हो चुका है वहीँ रूसी रूबल भी 2013 से अपनी आधी से ज्यादा कीमत खो चुका है. इस मामले में यह बात सामने आ रही है कि एक्सपोर्ट्स को बढ़ाने और इम्पोर्ट को घटने को लेकर लगी इस लड़ाई में करेंसी की वैल्यू घटने का दौर शुरू हो गया है. यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस होड़ के कारण चाइनीज वृद्धि का असर कई गुना बढ़ जायेगा जिस कारण भीषण मंदी का दौर भी आने की सम्भावना है.

इस बीच कुछ भारतीय विश्लेषक भी रूपये की वैल्यू को लेकर आवाज़ उठाने में लगे हुए है. यह बात भी सामने आई है कि जिस तरह के ग्लोबल ट्रेंड दिखाई दे रहे है उनसे यह बात सामने आ रही है कि रूपये की कीमत घटाए जाने से इंडियन एक्सपोर्ट्स का रिवाइवल नहीं होगा. गौरतलब है कि कुछ समय पहले जब 2008 में वैश्विक मंदी का दौर आया था तब इससे दुनियाभर के इकनॉमिक ग्रोथ पर गहरा असर देखने को मिला था. लेकिन इसके बावजूद भी देशों ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अपनी करेंसी को घटाने की होड़ भी नहीं लगाई थी और ना ही इम्पोर्ट पर भरी भरकम ड्यूटी लगाई थी. इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि 2014 में रुपया डॉलर के मुकाबले 59 पर देखा गया था लेकिन तबसे अब तक रूपये में 10 फीसदी की गिरावट आई है.

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मुद्रा की कीमत घटाए जाने की होड़ के कारण भी रूपये में मजबूती आई है. चाइनीज़ युआन को एक अपवाद के रूप में देखा जा रहा था लेकिन पिछले सप्ताह ही इसकी कीमतों में भी 3 प्रतिशत की कमी देखी गई, कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि यह कमजोरी 10 प्रतिशत तक हो सकती है. इसके साथ ही यह बात भी सामने आ रही है कि चीन 7 प्रतिशत की GDP ग्रोथ हासिल करने का दावा कर रहा है लेकिन फ़िलहाल एनालिस्ट्स का यह मानना है कि ग्रोथ महज 5 प्रतिशत हो सकती है. सभी का यह मानना है कि पोलिटिकल और इकनोमिक स्टेबिलिटी के लिए ग्रोथ का तेज होना बहुत ही आवश्यक है.

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