बैंगलोर: कर्नाटक में 22 मार्च से प्रारंभ हुए एक ऐतिहासिक त्योहार के दौरान किसी भी मुस्लिम दुकानदार को व्यापार करने की इजाजत नहीं दी गई है. बायोकॉन की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने इस प्रकार के प्रतिबन्ध का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से राज्य में इस तरह के धार्मिक विभाजन को खत्म करने की अपील की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि कर्नाटक ने हमेशा समावेशी आर्थिक विकास किया है. हमें इस प्रकार के सांप्रदायिक बहिष्कार की इजाजत नहीं देनी चाहिए.
Karnataka has always forged inclusive economic development and we must not allow such communal exclusion- If ITBT became communal it would destroy our global leadership. @BSBommai please resolve this growing religious divide???? https://t.co/0PINcbUtwG
— Kiran Mazumdar-Shaw (@kiranshaw) March 30, 2022
किरण मजूमदार ने अपने ट्वीट में लिखा है कि यदि सूचना प्रौद्योगिकी और व्यापार परिवर्तन (ITBT) ही सांप्रदायिक हो जाएगा, तो यह हमारे वैश्विक नेतृत्व को तबाह कर देगा. उन्होंने सीएम बोम्मई से कहा कि इस बढ़ते धार्मिक विभाजन को समाप्त कीजिए. वहीं एक ट्विटर यूजर ने जब सीएम बोम्मई पर टिप्पणी कर कहा कि वह राज्य में इस साम्प्रदायिक बंटवारे को बढ़ाएंगे और हमारी आंखों के सामने कर्नाटक हार जाएगा. इस पर मजूमदार ने जवाब दिया कि हमारे सीएम काफी प्रगतिशील नेता हैं. मुझे यकीन है कि वह जल्द ही इस मुद्दे को सुलझा लेंगे.
दरअसल, एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठन आयोजन समितियों पर मेलों में मुसलमानों को दुकान लगाने की अनुमति न देने का कथित तौर पर दबाव बना रहे हैं. कुछ हिंदू संगठनों कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 के तहत 2002 में बनाए गए नियमों का हवाला देते हुए मंदिर प्रबंधन से गैर हिंदुओं को मंदिर परिसर में व्यापार करने इजाजत न देने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि, इसके बाद ही 20 अप्रैल को होने वाले महालिंगेश्वर मंदिर के उत्सव के आयोजकों द्वारा नीलामी में मुसलमानों के हिस्सा लेने पर रोक लगा दी गई है. आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि 31 मार्च को बोली में केवल हिंदू ही हिस्सा ले सकेंगे. उडुपी जिले के कौप में होसा मारिगुडी मंदिर ने वार्षिक मेले के लिए 18 मार्च को हुई नीलामी में मुस्लिमों को स्टॉल आवंटित करने से मना कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार हिजाब पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुसलमानों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था. इसी को लेकर स्थानीय मंदिर में पूजा करने वाले लोग खफा हो गए थे. माना जा रहा है कि इसी के बाद मुस्लिमों पर इस प्रकार का प्रतिबंध लगाया जा रहा है.
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