भू-जल विभाग की रिपोर्ट में खौफनाक खुलासा, चार साल में ख़त्म हो जाएगा राजस्थान का पानी !
भू-जल विभाग की रिपोर्ट में खौफनाक खुलासा, चार साल में ख़त्म हो जाएगा राजस्थान का पानी !
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जयपुर: एक ओर केवल बरसात के पानी के इस्तेमाल को लेकर अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ वाटर हारवेस्टिंग के लिए कोई कोशिश नहीं की जा रही है. जिसका परिणाम ये हो चला है राजस्थान के सभी जिलों में ग्राउंड वाटर काफी नीचे चला गया है. किन्तु भू-जल विभाग की रिपोर्ट में तो और भी भयावह तस्वीर सामने आई है. आइए जानते हैं, आखिर क्या है वो ग्राउंड वाटर रिपोर्ट.

बंजर भूमि, सूखे तालाब और खाली पड़े हुए बांध. ये हालात हैं, आज के राजस्थान के. जिस तरह से जमीन के उपर ऐसी तस्वीर नज़र आ रही है. ठीक वैसी ही तस्वीर जमीन के नीचे भी बन चुकी है, किन्तु उसे हम देख नहीं पा रहे हैं. लेकिन भूजल विभाग से पानी के स्तर को नापने के बाद भयावह तस्वीर सामने आई है. विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के सभी 33 जिलों में ग्राउंड वाटर लेवल पूरे तरीके से डगमगा गया है. मात्र डूंगरपुर और बांसवाड़ा को छोड़कर बाकी जिलों में ग्राउंड वाटर लेवल पूरी तरह से खतरे के निशान के पार पहुँच गया है. डार्क जोन की सबसे भयभीत करने वाली तस्वीर इन आकंडों से स्पष्ट होती है. 

गत चार वर्षों में राजस्थान के 295 ब्लॉक में से 185 ब्लॉक डार्क जोन में जा चुके है. 2013 में जिन डार्क जोन की संख्या 164 थी, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 185 हो गई है.डार्क जोन का मतलब ये होता है जिन इलाकों में जमीन के नीचे से पानी तो ज्यादा ले रहे है, किन्तु धरती में पानी कम रिचार्ज हो रहा है. सबसे अधिक हैरान करने वाली बात ये है कि झुन्झुनू, दौसा, सीकर और जयपुर में जमीन के नीचे महज चार साल का पानी शेष है. अगर अभी ग्राउंड वाटर पर काम नहीं किया गया तो, भविष्य में पानी नहीं बचेगा. यानि चार वर्ष में इन चारों जिलों में बिल्कुल भी पानी नहीं बचेगा. 

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