नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश किय। यह विधेयक सूचना का अधिकार अधिनियम ,2005 का संशोधित प्रारूप है। लोकसभा में इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पेश किया । विधेयक को नौ के मुकाबले 224 मतों से पेश करने की अनुमति दी गयी. विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे. मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है।
सूचना के अधिकार की क्या हैं मूल बातें
सरकारी रिकॉर्ड देखने का मौलिक अधिकार
30 दिन के अंदर देना होता है जवाब
देरी पर 250 रुपये प्रति दिन जुर्माना
2005 में UPA सरकार के दौरान बना क़ानून
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पारदर्शिता के सवाल पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि सरकार अधिकतम सुशासन , न्यूनतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करती है. विधेयक के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसका मकसद आरटीआई अधिनियम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना , व्यवस्थित बनाना तथा परिणामोन्मुखी बनाना है।
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