नई दिल्ली : भारत सरकार जल्द ही जटिल मुद्दों पर सलाह देने वाले विधि आयोग को स्थायी संस्था में बदलने की योजना बना रही है। आयोग के कामकाज में निरंतरता लाना सरकार का मकसद है। वर्तमान व्यवस्था के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट इसका हर तीन साल में पुनर्गठन करती है। जब इसका पुनर्गठन होता है तो इसके संचालन के लिए नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाती है। विधि एवं कार्मिक मामलों की संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश हो विधि सचिव पीके मल्होत्रा ने कहा, "चूंकि विधि आयोग वर्ष 1959 से लगातार काम कर रहा है और इसका हर तीन साल पर पुनर्गठन होता रहा है।
इसलिए सलाह है कि इसे संसद से कानून पारित करके या शासकीय आदेश के जरिये स्थायी संस्था बना दिया जाए।" संसदीय समिति विधि मंत्रालय की अनुदान मांगों की जांच कर रही थी। यदि यह आयोग संसद से कानून के जरिये स्थायी संस्था में तब्दील हो गया तो यह संवैधानिक संस्था हो जाएगा। यदि इसे शासकीय आदेश से ऐसा किया गया तो यह पूर्व के योजना आयोग या नीति आयोग की तरह होगा। वर्ष 2010 में संप्रग सरकार ने विधि आयोग को संवैधानिक संस्था का दर्जा देने के लिए एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया था और विधि मंत्रालय ने लॉ कमीशन ऑफ इंडिया बिल, 2010 संसद में लाने का विचार भी किया था लेकिन बाद में यह विचार त्याग दिया गया।
विधि मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि स्थायी संस्था बन जाने से आयोग को बगैर उसकी गुणवत्ता से समझौता किए और रिपोर्ट देने में मदद मिलेगी क्योंकि तीन साल समय सीमा की बाध्यता खत्म हो जाएगी। पिछले हफ्ते संसद में पेश रिपोर्ट स्थायी समिति ने विधि आयोग की रपटों पर सरकार जितनी धीमी रफ्तार से फैसले लेती है उस पर चिंता जताई है। उल्लेखनीय है कि 20 वां विधि आयोग काम कर रहा है जिसका कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर तक है। विधि आयोग से अब तक 255 रिपोर्ट मिल चुकी है जिनमें से सरकार ने 91 को लागू किया है और 15 को अस्वीकृत कर दिया है। शेष पर अभी विभिन्न विभागों में विचार किया जा रहा है।
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.