अल्मोड़ा में जन्मे गोविंद बल्लभ पंत महाराष्ट्रियन मूल के थे. मां का नाम गोविंदी बाई था. उनके नाम से ही नाम मिला था. पापा सरकारी नौकरी में थे. उनके ट्रांसफर होते रहते थे. तो नाना के पास पले. बचपन में बहुत मोटे थे. कोई खेल नहीं खेलते थे. एक ही जगह बैठे रहते. घर वाले इसी वजह से इनको थपुवा कहते थे.
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सिर्फ सच्चे केस ही लड़ते है थे पंत
गोविंद बल्लभ पंत पढ़ाई में बड़े ही होशियार थे. एक बार की बात है. छोटे थे उस वक्त. मास्टर ने क्लास में पूछा कि 30 गज के कपड़े को रोज एक मीटर कर के काटा जाए तो यह कितने दिन में कट जाएगा. सबने कहा 30 दिन. पंत ने कहा 29. स्मार्टनेस की बात है. बता दिये. इसमें कौन सा दौड़ना था.बाद में पढ़ाई कर के वकील बने. इनके बारे में फेमस था कि सिर्फ सच्चे केस लेते थे. झूठ बोलने पर केस छोड़ देते. वो दौर ही था मोरलिस्ट लोगों का. बाद में कुली बेगार के खिलाफ लड़े. कुली बेगार कानून में था कि लोकल लोगों को अंग्रेज अफसरों का सामान फ्री में ढोना होता था. पंत इसके विरोधी थे. बढ़िया वकील माने जाते थे. काकोरी कांड में बिस्मिल और खान का केस लड़ा था.
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यूपी के सीएम भी रहे
जानकारी के अनुसार 1937 में पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. मदन मोहन मालवीय के पक्के चेले थे. और यहां नेहरू के प्रयोग को सफल किया. उस वक्त कांग्रेस पर अंग्रेजों के कानून में बनी सरकार में शामिल होने का आरोप लगा था. पर पंत की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए. प्रशासन बहुत अच्छा रहा. भविष्य के लिए बेस तैयार हुआ. फिर पंत 1946 से दिसंबर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 1951 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में वो बरेली म्युनिसिपैलिटी से जीते थे.
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