नई दिल्ली : अरूणाचल प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा राज्य विधानसभा का सत्र अपने मन से नहीं बुला सकते हैं। इस दौरान राज्यपाल ने अरूणाचल प्रदेश में नबाम तुकी नीत कांग्रेस सरकार के बहुमत को जानने के लिए विधानसभा का सत्र एक माह पूर्व निमंत्रित करने का निर्णय लिया था। न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता में 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा कहा गया कि राज्यपाल स्वयं विधानसभा का सत्र निमंत्रित नहीं कर सकते हैं।
उनके द्वारा समय से पूर्व सत्र को बुलाना बेहद गलत है। न्यायालय द्वारा कहा गया है कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटा दिया जाता है तो उपाध्यक्ष के हाथों में कार्रवाई आती है ऐसे में सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है यह गलत नहीं है। न्यायालय ने इस तरह की टिप्पणी करने के पूर्व अभिभाषक राकेश द्विवेदी की दलीलें सुनने के बाद दीं।
कांग्रेस के विरोधी विधायकों की ओर से वे हाजिर हुए थे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के विधानसभा सत्र को निमंत्रित करने पर आपत्तियां नहीं होती हैं मगर इस दौरान कुछ कार्य होना जरूरी है। एक बार यदि सदन का सत्र प्रारंभ हो जाता है तो राज्यपाल की भूमिका इस तरह का निर्णय करने की नहीं रह जाती है। उनका कहना था कि राज्यपाल के पास यह उनका विशेषाधिकार है। उल्लेखनीय है कि अरूणाचल प्रदेश में इस समय राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।