अहमदाबादः सरकार की सोने में निवेश को लेकर शुरू की गई विभिन्न स्वर्ण योजनाएं आम जनता का ध्यान खींचने में असफल रहीं हैं. एक शोध संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है.जनता इन योजनाओं से पूरी तरह अनजान नजर आई.
गौरतलब है कि इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंसियल मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च (आईएफएमआर) के शोधकर्ताओं ने देश के 4 जिलों महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तमिलनाडु में कोयंबटूर, पश्चिम बंगाल में हुगली और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर में 1,000 लोगों के बीच यह अध्ययन किया.‘भारत स्वर्ण नीति केन्द्र (आईजीपीसी) के प्रमुख अरविंद सहाय ने यह जानकारी दी.
बता दें कि इस अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. इन 4 जिलों में जिन 1,000 लोगों से बातचीत की गई उनमें से केवल 5 लोगों को ही सरकार की स्वर्ण योजनाओं के बारे में जानकारी थी. जबकि सरकार ने सोने की भौतिक मांग को कम करने के लिए स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, सावरेन गोल्ड बॉंड योजना और स्वर्ण सिक्का योजना जैसी योजनाएं शुरू की है.
इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंसियल मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च की शोधकर्ता मिशा शर्मा ने बताया कि इन तीन स्वर्ण योजनाओं के बारे में या तो बहुत कम जानकारी है या फिर उनमें कोई जागरुकता नहीं है. जबकि ये योजनायें दो साल पहले केन्द्र सरकार ने शुरू की हैं. 4 जिलों में से केवल 5 लोगों को ही इसके बारे में जानकारी थी. यह स्थिति वाकई चिंताजनक है.
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