नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राईक से जुड़े सबूत को सार्वजनिक न करने का निर्णय लिया है। दरअसल भारत का मानना है कि यदि इस मसले पर सबूतों को सार्वजनिक कर दिया गया तो पाकिस्तान की परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस दौरान समाचार पत्र में प्रकाशन किया गया था। दरअसल सरकारी सूत्रों द्वारा कहा गया कि भारत का युद्ध करने के समर्थन में तो नहीं रहता है लेकिन युद्ध के हालात बन गए तो देश लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहेगा।
इस मामले में यह बात सामने आई है कि राष्ट्र ने भारत के प्रयासों का विरोध नहीं किया। पाकिस्तान के करीबी माने जाने वाले चीन ने इस मामले में किसी तरह का विरोध दर्ज नहीं किया। इस्लामिक देशों की ओर से आने वाले बयानों को लेकर कहा गया कि इन देशों ने भी भारत की कार्रवाई का समर्थन किया था। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 के गणतंत्र दिवस समारोह में अबुधाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहान को निमंत्रित करना भी एक तरह की कूटनीति थी।
गौरतलब है कि भारत में सर्जिकल स्ट्राईक पर काफी राजनीति की गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो पाकिस्तान को सबूत देने की बात तक कही। सरकार का मत है कि डीजीएमओ के बयान को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें उन्हें वीडियो जारी करना इस खुफिया मिशन को सामने आने का संकेत दिया था और कहा था कि इससे सेना की तैयारी प्रभावित हो सकती है। सरकार का पक्ष यह बताता है कि सरकार किसी तरह की राजनीति में नहीं पड़ना चाहती है।