नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन न मानने वालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा रही है, फिर भी इसका उल्लंघन जारी है। इसके बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों से आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत भी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। आपदा प्रबंधन कानून लागू होने के बाद सरकारी अधिकारियों को और अधिक शक्ति मिल गई है।
ऐसे में कानून न मानने पर 2 व झूठ फैलाने पर 3 वर्ष कारावास की सजा हो सकती है। कानून में आपदा के वक़्त नियुक्त अधिकारी द्वारा उसे दी गई ड्यूटी न निभाने पर एक वर्ष तक की कैद का प्रावधान है। हालांकि, जिसके पास अपने वरिष्ठ अधिकारी की लिखित स्वीकृति होगी या ड्यूटी न निभा पाने का कोई कानूनी आधार होगा, उसे सजा से रियायत मिलेगी। राहत, सहायता, पुनर्निर्माण और अन्य लाभ लेने के लिए गलत दावा पेश करने वाले पर आपदा प्रबंधन कानून की धारा-52 के तहत जुर्माना और दो वर्ष की जेल का प्रावधान है।
आईपीसी की धारा 188 के उल्लंघन पर छह महीने तक के लिए जेल भेजा जा सकता है। वहीं, महामारी रोग कानून के उल्लंघन पर भी धारा 188 के तहत ही कार्रवाई होती है। आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51 के तहत ड्यूटी में बाधा डालने और अधिकारियों के निर्देशों को मानने से मना करने पर एक साल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही आवश्यक वस्तु अधिनियम में जमाखोरी-कालाबाजारी का दोषी पाए जाने पर सात साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
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