सरकार ने 2030 तक रखा लक्ष्य, बाल विवाह को करना हैं जड़ से खत्म
सरकार ने 2030 तक रखा लक्ष्य, बाल विवाह को करना हैं जड़ से खत्म
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भारत के हर क्षेत्र में जहां तरक्की हो रही हैं आज भी बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं पर भी रोक लगाने का कार्य जोरों पर नजर आ रहा है. वही कई सालों से बच्चों को शिक्षा की ओर ले जाकर बाल विवाह की दर में कमी लाई गई है. इस पर लगातार कोशिश करने के बाद भी कुछ जगहों पर कम उम्र में लड़कियों की शादी करवाए जाने का आंकड़े अब भी अधिक है. इस कुप्रथा का वजह जहां लोगों का कम पढ़ा लिखा होना बताया जा रहा है वहीं सरकार ने शिक्षा और जागरुकता को बढ़ावा देकर साल 2030 तक बाल विवाह को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य बनाया चुकी है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के संजय कुमार ने आयु-स्तर के आंकड़ों का उपयोग करते हुए कहा है कि बाल विवाह की दर 1970 में 58 फीसदी से घटकर 2015-16 में मात्र 21 फीसदी ही रह चुकी है. इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए विवाह की औसत आयु भी बढ़ रही है. वही 2005-06 में महिलाओं के लिए पहली शादी की औसत आयु 17 वर्ष थी जो 
 की 2015-16 में 19 हो चुकी है.

ऐसा कई गांव में देखा गया है कि अधिकतर जल्दी शादी करने वाली लड़िकयां वहीं हैं जिन्होंने या तो पढ़ाई ही नहीं की या तो वो जो प्राथमिक शिक्षा के पश्चात् ही घर बैठ चुकी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में दर्शाए गए आंकड़ो के मुताबिक 45 फीसदी बिना पढ़ी लिखी और 40 फीसदी कम पढ़ी लिखी लड़कियां सूची में सम्मिलित हैं. एनएफएचएस के संजय कुमार यह जानकरी दी है   कि पढ़ाई का एक साल बढ़ाने से शादी में 0.4 साल की इजाफा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अंतर्गत भारत ने साल 2030 तक बाल विवाह को पूर्ण रूप से खत्म करने का लक्ष्य रखा है.

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