कर्नाटक सरकार ने मजदूरों के संबंध में पारित किया यह प्रस्ताव
कर्नाटक सरकार ने मजदूरों के संबंध में पारित किया यह प्रस्ताव
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कृषि बिलों ने पूरे कर्नाटक को झकझोर कर रख दिया है। कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को औद्योगिक विवाद और कुछ अन्य कानूनों (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी, जिसका ट्रेड यूनियनों ने पुरजोर विरोध किया है। इस विधेयक की घोषणा चित्तौडग़ढ़ के विधायक प्रियंक खड़गे को छोड़कर बिना किसी विरोध के की गई, जिन्होंने इसे "श्रम विरोधी" कहा। मौजूदा अधिनियम में तीन प्रमुख संशोधन किए गए थे । सबसे पहले, 300 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठानों को कर्मचारियों को बंद करने के लिए सरकार के अधिकार की तलाश करनी होगी । इसमें 100 कर्मचारियों ने उठाया है।

दूसरा, ओवरटाइम कर्मचारियों के लिए काम के घंटे 75 से बढ़ाकर 125 घंटे प्रति तिमाही कर दिए गए हैं। तीसरा, कर्मचारियों के लिए सीमा को 10 कर्मचारियों से बढ़ाकर 20 फैक्ट्रियों में कर दिया गया है जो बिजली का इस्तेमाल करते हैं और 20 कर्मचारी उन फैक्ट्रियों में 40 हैं जो बिजली का इस्तेमाल नहीं करते हैं । यह संशोधन औद्योगिक विवाद अधिनियम, कारखाना अधिनियम और ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम जैसे अधिनियमों में किए गए थे । इस विधेयक को श्रम मंत्री शिवराम हेब्बर ने पेश किया, जिन्होंने कहा कि इससे व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित होगी और जो लोग ओवरटाइम काम करना चाहते हैं, उनके लिए अवसर प्रदान करेंगे ।

जब शिवराम हेब्बर ने कर्मचारियों के ओवरटाइम के काम के घंटे बढ़ाने का इरादा किया तो पूर्व आईटी और बीटी मंत्री प्रियंक खड़गे ने कहा, यह श्रम विरोधी है । इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नाम पर कर्मचारियों के लिए कामकाजी परिस्थितियां भयानक हो जाएंगी । शिवराम हेब्बर ने खड़गे के बयान का मुकाबला करते हुए कहा कि कर्मचारी लंबी पाली में काम करने को तैयार हैं। कर्नाटक सरकार द्वारा इसी प्रावधानों के साथ इस साल जुलाई में अध्यादेश प्रकाशित करने के बाद यह सुधार लाया गया था। इस संशोधन के अलावा कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में 16 अन्य विधेयक पारित किए।

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