जैन समाज के आगे झुकी सरकार, इन चीजों पर लगाई रोक
जैन समाज के आगे झुकी सरकार, इन चीजों पर लगाई रोक
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रांची: श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने का विरोध तेज होता जा रहा है। इसके विरोध में जैन समाज के लोगों ने सड़क पर उतर कर जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है वही जैन समाज के इस विरोध प्रदर्शन से लगता है सरकार डर गई है तथा केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. जिसमे ये सूचित किया गया है कि श्री सम्मेद शिखरजी परवता क्षेत्र जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थल है यह मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ समूचे देश के लिए इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता है और इसे बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है

साथ ही इसमें लिखा है कि इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाए, जिनके मुताबिक, पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करना; तेज़ संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना; धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के अपवित्र स्थल जैसे पवित्र स्मारक, झीलें, चट्टानें, गुफाएँ और मंदिर, हानिकारक वनस्पतियों या जीवों पर्यावरण प्रदूषण के कारण जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक कार्य करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना; पालतू जानवरों के साथ आना; और पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रैकिंग आदि की अनुमति नहीं है। पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल और युवा मामले विभाग, झारखंड सरकार के का। सा। सं। पर्या० यो०-14/2010-1995 दिनांक 21।12।2022 के सिलसिले में राज्य सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब एवं मांसाहारी खाद्य वस्तुओं के विक्रय एवं उपभोग पर प्रतिबंध को भी सख्ती से लागू किया जाए।

इसके अतिरिक्त, 2 अगस्त, 2019 को जारी इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना एस. ओ. 2795 (ई) के संदर्भ में, पवित्र पार्श्वनाथ पर्वत क्षेत्र से परे एक बफर जोन की रक्षा के लिए जारी किया गया उक्त इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां सम्मिलित हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है। साथ ही इसमें लिखा है- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत इस अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी हेतु केंद्रीय सरकार द्वारा उक्त अधिसूचना के खंड 5 के तहत एक निगरानी समिति गठित की गई है। प्रदेश सरकार को निदेश दिया जाता है कि वह इस समिति में जैन समुदाय से दो सदस्यों तथा स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य को स्थायी सदस्यों के तौर पर आमंत्रित करे जिससे उक्त इको सेन्सिटिव जोन अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी में स्थानीय समुदाय को भी सम्मिलित किया जा सके। जिससे महत्वपूर्ण हितधारकों द्वारा उचित हिस्सेदारी और निरीक्षण किया जा सके। इन निर्देशों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के प्रावधानों के तहत सक्षम प्राधिकारी के विधिवत् अनुमोदन से जारी किया जाता है।

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