मीटू मामले में गूगल के कर्मचारियों ने किया वॉकआउट, दुनियाभर में हो रहा विरोध
मीटू मामले में गूगल के कर्मचारियों ने किया वॉकआउट, दुनियाभर में हो रहा विरोध
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नई दिल्ली: विदेश से चला मीटू कैंपेन अब देश में भी अपना रंग जमाने लगा है। मुख्य रूप से यौन उत्पीड़न और यौन हमले के खिलाफ चलाया जाने वाला ये कैंपेन विदेशी सिनेमा जगत से ही शुरू हुआ है। पिछले वर्ष अक्टूबर 2017 में यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न के व्यापक प्रसार को प्रदर्शित करने के प्रयास में सोशल मीडिया पर इस्तेमाल किए गए हैशटैग के रूप में वायरल हुआ मीटू कैंपेन आज प्रत्येक स्थान पर फैल गया है। 

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जानकारी के अनुसार बता दें कि मीटू का असर भारत में भी पड़ा है। जिसके बाद पिछले दिनों फिल्मी दुनिया में भी इसका प्रतिरूप देखने मिला और साथ ही इस कैंपेन ने पूरे देश में आग लगाकर रख दी। जानकारी के अनुसार बता दें कि मीटू कैंपेन की ये आग अब दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी गूगल तक पहुंच गई है। बता दें कि कंपनी द्वारा महिलाओं के साथ बर्ताव और यौन उत्पीड़न के गंभीर मामलों में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में उदार रवैया अपनाया जाना अब एक विरोधी स्वर बन गया है। जिसके चलते गुरुवार को भारत समेत दुनिया भर में गूगल के कर्मचारियों ने अपने अपने कार्यों का बहिष्कार किया। दरअसल गूगल के कर्मचारियों द्वारा इस मामले में पहले भी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों से इससे संबंधित शिकायत की गई है। लेकिन कंपनी द्वारा इस पर अब तक कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है, जिससे ये मामला दिन पे दिन तूल पकड़ता जा रहा है।

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यहां बता दें कि गूगल द्वारा गूगल वॉकआउट के नाम से चलाए गए मीटू के इस अभियान में भारत में गूगल के गुरुग्राम, हैदराबाद और मुंबई कार्यालयों के तकरीबन 150 कर्मचारियों ने वॉकआउट किया है। जानकारी के अनुसार गूगल का भारत में इन तीन स्थानों के अलावा बेंगलुरू में भी एक आॅफिस है और इनमें करीब दो हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। वहीं देश सहित विदेश में भी इन कर्मचारियों ने वॉकआउट किया है। ये सिलसिला जापान की राजधानी टोक्यो से शुरू हुआ है। गौरतलब है कि मीटू कैंपेन में इस समय बहुत से लोग घिर गए हैं। वहीं भारतीय मूल के गूगल के प्रमुख अधिकारी सुंदर पिचाई ने भी कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे विरोध का समर्थन किया है। उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोपी 48 कर्मचारियों को बिना कोई आर्थिक पैकेज दिए हटा दिया गया है। वहीं यूरोप के भी कई देशों में इसका असर देखने मिल रहा है। यहां हम आपको बता दें कि ये पूरा मामला न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के बाद हुआ। खबर के अनुसार कंपनी में वर्षो से यौन उत्पीड़न के मामले होते रहे हैं और कंपनी द्वारा आरोपियों पर कठोर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें मोटी रकम देकर कंपनी से अलग कर दिया जाता है। 
 

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