''तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे..''
इसी शायरी के साथ आज आपको बता दे, मुग़ल काल के शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का आज 220वां जन्मदिन है. इस खास मौके पर गूगल ने अपना डूडल बदल कर उन्हें समर्पित किया है. मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम हर किसी की जुबां पर रहता है. चाहे वो किसी भी रूप में रहे. हर कोई इनके शायराना अंदाज़ से वाकिफ है और ये भी जानते हैं कि ये एक बहुत बड़े शायर थे जो आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है.
आपको बता दे इनका जन्म 27 दिसंबर 1797 में आगरा में हुआ था. इनका पूरा नाम है Mirza Asadullah Baig Khan. ये उर्दू और पर्शियन भाषा में शायरी लिखा करते थे और इसी से उन्हें जाना भी जाना जाता है. लेकिन इन्हे सबसे ज्यादा इनकी उर्दू शायरी के लिए जाना जाता है. ये अपने घर पर पर्शियन, उर्दू और तुर्किश भाषा का उपयोग करते थे. वैसे तो इनकी कई शायरी सुनी होंगी आपने और आज भी सुनते ही होंगे और इन्ही शायरी से उन्हें याद भी करते होंगे.
इनके बारे में बता दे, मिर्ज़ा ग़ालिब की शादी 13 साल की उम्र में कर दी गयी थी जिसके बाद वो दिल्ली में जा कर सेटल हो गए. मुग़ल दौर में इन्हों एकै शायरी लिखी और कई ग़ज़ल भी पढ़ी. इसी के साथ उनकी इन ग़ज़ल को दुनिया में कई भाषाओँ में लाया गया. खास बात ये है की इन्हे मुग़ल काल का सबसे अहम हिस्सा माना गया था और इसी के चलते इन्हे मुग़ल दरबार में नियुक्त कर दिया गया जो आज भी सबके जहँ में जिन्दा है.