प्रकृति के बीच बसा- दूधसागर फाॅल
अक्सर गोवा का नाम लेते ही मन सैर - सपाटे, यहां के बीचों, नारियल के पेड़ों और यहां के रेस्टोरेंट्स की ओर चला जाता है लेकिन इससे भी अधिक कुछ देखने के लिए गोवा में है। जिस गोवा में समुद्र लहरें किनारे पर मौजूद चट्टानों से टकराती हैं उसी गोवा का दूधसागर फाॅल प्रकृति का ऐसा नायाब नज़ारा पेश करता है, जिसे देखकर आपका मन भी ललचा जाता है, दूर चट्टान से जलधारा गिरने पर आपको एक बार तो ऐसा ही लगता है जैसे काली चट्टान पर मौजूद किसी शिवलिंग का प्रकृति खुले मने से अभिषेक कर रही हो, ऐसा शानदार नज़ारा देखकर तो ऐसा लगता है कि बस यहीं कहीं प्रकृति की गोद में बस जाऐं, प्रकृति ने यहां बनाए गए कुछ स्ट्रक्चर को खुद ही अपने रंग में रंग लिया है। जब यहां से ट्रेन गुजरती है तो दृश्य बेहद अद्भुत लगता है। मन हो जाता है कि इन दृश्यों को सदा के लिए अपनी आंखों में कैद कर लें।
रामेश्वरम् का पंबन ब्रिज- प्रकृति की गोद में एक आनंददायक सफर
नदियों, झीलों, समुद्रों का देश भारत देश। परीकथाओं का देश भारत देश। एक देश लेकिन इसमें न जाने कितनी विविधताऐं मौजूद हैं। इस देश को ब्रिटिश राजसत्ता ने अपनी काॅलोनी बनाया। उपनिवेश बनाने के साथ वे यहां बसे। उनकी संस्कृति, आचार - विचार, रहन - सहन को वे भारत लेकर आए। उसे यहां के लोगों ने अपनाया। इसी के साथ अंग्रेजों ने यहां सड़कों, पुलों, रेलमार्गों का भी निर्माण करवाया। आज भी अंग्रेजों द्वारा निर्मित सड़कें वैसी की वैसी हैं, शायद आपको आश्चर्य होगा कि यह कुछ अधिक हो गया, मगर यह बात सही है कि ब्रिटिश राज व्यवस्था में तैयार किए गए सड़क, पुल, रेल मार्ग आज भी वैसे ही हैं, इन्हीं में से एक है रामेश्वरम में स्थित पंबन ब्रिज। जी हां, इस रेलवे पुल का निर्माण 1914 में किया गया था। यह भारत का पहला सामुद्रिक रेलवे ब्रिज है।
यह पुल करीब 2065 मीटर लंबा है, बाद में इस पुल को यहां से गुजरने वाले जहाजों, कार्गो, और कोस्ट गार्डस के लिए सुविधाजनक बनाया गया। यह ब्रिज मंडपम से पंबन स्टेशन तक के मार्ग को लिंक करता है। समुद्र में बनाया जाने वाला यह सबसे पुराना पुल है, यह अद्भुत पुल रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को समुद्र के शानदार दर्शन करवाता है साथी रेल से समुद्र की यात्रा बहुत रोमांचकारी होती है। इस पुल से रेल काफी धीमा सफर तय कर आगे बढ़ती है। इसके तहत करीब 2 किलोमीटर का सीधा सफर तय कर मैनलैंड से आईलैंड तक पहुंचा जाता है। समुद्र से उठने वाली लहरें जब इस पुल के नीचे से होकर गुजरती हैं तो ट्रेन में बैठे यात्री ऐसा अनुभव करते हैं कि लहरें उन्हें छूकर निकलने को बेताब हैं।
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