Mar 09 2017 12:15 AM
मंदिर जाते समय हम इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते है कि कौन से वस्त्र धारण कर जाना चाहिये। अमुमन युवाओं की यदि बात करें तो युवा न केवल तंग कपड़े पहनकर ही मंदिर जाते है तो वहीं महिलाएं भी साड़ी आदि के रंग का ध्यान नहीं रखती है।
मंदिर जाते समय न केवल ढीले कपड़े पहनना चाहिये वहीं साड़ी भी पीली या लाल रंग की ही होना चाहिये। ये दोनों रंग शुभता का प्रतीक होते है। इसलिये पूजन पाठ में भी पीले या लाल रंग का उपयोग महिलाओं को करना चाहिये वहीं पुरूष भी सफेद कुर्ते पायजमा पहनकर ही मंदिर जायें या फिर पूजन पाठ करें।
किसी जमाने में पुरूषों द्वारा इसलिये धोती कुर्ता पहना जाता था कि ये शुभता का प्रतीक तो होते ही वहीं मंदिर में दर्शन या दण्डवत करने में परेशानी न आये। अब धोती कुर्ता न सही लेकिन रंगों का ध्यान रखने के साथ ही ढीले कपड़े पहने, ताकि झुकने में परेशानी न हो।
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