'हाई कोर्ट जाइए, उसके पास भी शक्तियां..', दरकते जोशीमठ की पीड़ा सुनने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
'हाई कोर्ट जाइए, उसके पास भी शक्तियां..', दरकते जोशीमठ की पीड़ा सुनने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के हल्द्वानी में हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर फ़ौरन रोक लगा देने वाली सुप्रीम कोर्ट ने अब उसी राज्य में दरक रहे जोशीमठ के पीड़ितों की गुहार सुनने से इंकार कर दिया है। बता दें कि, जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं, इस त्रासदी को लेकर शीर्ष अदालत में मदद की गुहार लगाई गई थी। 

इस याचिका पर शीर्ष अदालत ने आज यानी सोमवार (16 जनवरी) को सुनवाई की और कहा कि यदि इस तरह का मामला पहले से ही उच्च न्यायालय में चल रहा है, तो यह देखना होगा कि इसकी सुनवाई आवश्यक है या नहीं। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह उच्च न्यायालय जाएं, क्योंकि वहां से भी उन्हें राहत मिल सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जोशीमठ को बचाने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल कर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इसमें जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रभावितों को आर्थिक मदद प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। लेकिन, 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हर चीज को अदालत में लाने की जरूरत नहीं है। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएँ मौजूद हैं। 

आज सोमवार (16 जनवरी) को शीर्ष अदालत में दोपहर लंच के बाद इस मामले पर सुनवाई की गई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा कि जोशीमठ में क्या स्थिति हैं। इस पर उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि इसी प्रकार की याचिका नैनीताल उच्च न्यायालय में भी लगाई गई है। साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय में भी इसी प्रकार की याचिका दाखिल की गई है। राज्य सरकार ने कहा कि इस त्रासदी पर केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं।

जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा है कि यदि उत्तराखंड हाईकोर्ट में इस याचिका पर पहले ही सुनवाई की जा रही है, तो यह देखना होगा कि यहां सुनवाई का कोई मतलब है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के पास भी इस मामले में राहत दिलाने वाली शक्तियां हैं। बता दें कि, इसी राज्य के हल्द्वानी में रेलवे की कई एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मामला भी सामने आया था, जिसपर लम्बी सुनवाई करने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। लेकिन, बुलडोज़र अतिक्रमण हटाने पहुँचते, इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फ़ौरन हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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