गुलाम नबी आजाद का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है: जयराम रमेश
गुलाम नबी आजाद का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है: जयराम रमेश
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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से आज यानि शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। जी दरअसल उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पन्ने के त्यागपत्र में कहा कि, 'वह ‘भारी मन’ से यह कदम उठा रहे हैं। ' इसी के साथ पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी-23 समूह में शामिल आजाद ने कहा कि, 'अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को संचालित कर रहे कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित कांग्रेस ने भारत के लिए हितकारी मुद्दों की खातिर लड़ने की इच्छाशक्ति और क्षमता खो दी है। ' वहीं इसके जवाब में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ''‘जीएनए’ (गुलाम नबी आजाद) का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है। ''

इसी के साथ गुलाम नबी के इस्तीफे पर भड़के कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ''एक व्यक्ति जिसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सबसे बड़ा सम्मान दिया गया, उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से धोखा दिया है, जो कि उनके असली चरित्र को उजागर करता है। जीएनए का डीएनए मोदी-मय गया है। '' जी दरअसल जयराम रमेश ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ''जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज़्यादा सम्मान दिया, उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत आक्रमण करके अपने असली चरित्र को दर्शाया है। पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर पद्म विभूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन… यह संयोग नहीं सहयोग है !''

जी दरअसल पहले से ही संकट में घिरी कांग्रेस को आजाद के इस्तीफे से एक और झटका लगा है। जी दरअसल इससे पहले भी कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। जी दरअसल उन्होंने पत्र में कहा कि पार्टी नेतृत्व को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी। इसी के साथ आजाद ने कहा कि, 'पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया और नीचा दिखाया गया। '

जी दरअसल उन्होंने कांग्रेस से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि, 'पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं कराए गए। ' इसी के साथ आजाद ने कहा कि कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए हैं, जहां से वापस नहीं आया जा सकता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पार्टी में नेतृत्व के लिए परोक्ष तौर पर अपने प्रतिनिधियों को आगे बढ़ाया जा रहा है। जी दरअसल उन्होंने पार्टी के साथ ‘बड़े पैमाने पर हुए धोखे’ के लिए नेतृत्व को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि, 'एआईसीसी के चुने हुए पदाधिकारियों को एआईसीसी का संचालन करने वाले कुछ लोगों द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।'

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