लोक सेवक को मिले उपहार क़ानूनी कमाई नही
लोक सेवक को मिले उपहार क़ानूनी कमाई नही
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला को दोषी ठहराकर एक तरीके से कोर्ट ने नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों के उपहार लेने की आदत पर भी सख्त संदेश दिया. बता दें कि जस्टिस पिनाकी चंद्र घोसे और अमिताव रॉय की अदालत ने कहा कि  लोक सेवक  'तोहफों' को कानूनी तरीके से की गई कमाई के रूप में नहीं दिखा सकते.आईपीसी की धारा 161 से 165A के संदर्भ में जिसे अब 'प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (PC) एक्ट में जोड़ दिया गया है, उसके तहत जनप्रतिनिधि जयललिता को मिले तोहफे अवैध होकर कानून सम्मत नहीं हैं.

कोर्ट का यह फैसला आय का एक वैध स्रोत और गैरकानूनी स्रोत में अंतर पैदा करता है. इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि जयललिता को मिले तोहफे गैरकानूनी हैं. तोहफों को कानूनी तरीके से हासिल की गई आमदनी के रूप में दिखाने की कोशिश करना गलत है.

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने कोर्ट से कहा था कि अगर कोई सही जानकारी दे और उचित कर चुकाए, तो आयकर विभाग तोहफे लेने को अपराध नहीं मानता है. वकील ने कोर्ट से अपील की कि वह भी जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में यही रुख अपनाए. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे तोहफों को लेना कानूनी तौर पर स्वीकार्य नहीं बन जाता है. उन पर लगाए गए आरोप इस आधार पर नहीं हटाए जा सकते हैं.

जयललिता और उनके सहयोगियों शशिकला, वी एन सुधाकरण और जे इलावरासी पर गैरकानूनी तरीके से आय मामले में सुनवाई कर कोर्ट ने कहा कि जयललिता के खातों में बेरोकटोक और लगातार आते रहने वाले पैसों का बाकी सह-आरोपियों और कंपनियों/फर्म्स के खातों में जाना दिखाता है कि इस गैरकानूनी काम में ये सभी लोग शामिल थे.

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