नई दिल्ली : देश में जवानों की जान की कितनी अहमियत है, यह देश का हर नागरिक समझता है। सियाचीन के ग्लेशियर में 6 दिनों तक 35 फीट नीचे दबे रहने के बाद भी लांस नायक हनुमंथप्पा कोपड़ की सांसे चलती रही। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक खबर है कि सेना के लांस नायक के जिंदा निकल आने का समाचार सुनकर भारतीय सेना के एक जनरल का भी दिल पसीज गया व उन्होंने जब लांस नायक हनुमंथप्पा कोपड़ के चमत्कार रूप से जिंदा होने की खबर को टेलीफोन पर सुना तो उनके भी आँखों से आंसू निकल आए.
आपको बता दे कि युद्धों, कठिनाइयों और शहादतों का 30 साल का लंबा तजुर्बा रखने वाले जनरल का इस प्रकार से यह खबर सुनकर गमगीन होना मुनासिब था व ऐसे में जनरल को अपने स्वाभाविक 'साहसी' स्वरूप को बरकरार रखना मुश्किल हो गया होगा... तेज़ी से अपनी आंखों में भर आए आंसुओं को चेहरे से हटाते हुए उन्होंने हमेशा की तरह 'जॉली गुड' कहा.
गौरतलब है कि बर्फ के पहाड़ के नीचे से लांस नायक हनुमंतप्पा कोप्पड़ छह दिन बाद ज़िन्दा निकाले गए, जो फाइबर से बनी टेंटनुमा जगह में बेहोश पड़े मिले... हनुमंतप्पा के नौ साथियों के पार्थिव शरीर भी सियाचिन ग्लेशियर में 19,600 फुट की ऊंचाई पर बनी सोनम पोस्ट में बर्फ के नीचे दबे लांस नायक के पास ही मिले थे अभी उनका राजधानी दिल्ली में इलाज चल रहा है. हर तरफ से उनके ठीक होने की दुवाएं की जा रही है.