रत्न-जेवरात मामले में भारत-अमेरिका को फायदे के संकेत
रत्न-जेवरात मामले में भारत-अमेरिका को फायदे के संकेत
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भारत के द्वारा यहाँ विनिर्माण केंद्र को विकसित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है और इसके कारण यह कहा जा रहा है कि अमेरिकी कम्पनियों के लिए रत्न एवं जेवरात क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता लाने पर भी जोर दिया जाना है. इस मामले में सलाहकार कम्पनी PWC का कहना है कि जेवरात और रत्न के क्षेत्रो से दोनों ही देशो को फायदा हो सकता है क्योकि जहाँ एक तरफ भारतीय विनिर्माताओं को अमेरिकी कम्पनियों से वैश्विक विशेषज्ञता प्राप्त होना है वहीँ दूसरी तरफ अमेरिकी कम्पनियों के लिए रत्न और जेवरात केंद्र निजी उत्पादन इकाइयों के रूप में सामने आएंगे.

इस मामले में सामने आई रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि भारत और अमेरिका के बीच यह सम्बन्ध रत्न और जेवरात क्षेत्र के रूप में आगे बढ़ने में सफल साबित हो सकता है. गौरतलब है कि जहाँ एक तरफ भारत हीरों के विनिर्माण को लेकर सबसे बड़ा केंद्र है वहीं बिन तराशे गए हीरों का विश्व में सबसे बढ़ा आयातक भी है. इसके साथ ही अमेरिका जहाँ हीरे का सबसे बड़ा निर्यातक है वहीँ यह विश्व में हर साल 21 अरब डॉलर के हीरे निर्यात करता है. सोने के बारे में बात करें तो आपको बता दे कि भारत सोने का सबसे बड़ा निर्यातक माना जाता है क्योकि भारत में सुनारों की संख्या काफी अधिक बनी हुई है.

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