6 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंची जीडीपी ग्रोथ रेट
6 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंची जीडीपी ग्रोथ रेट
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चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी आर्थिक विकास दर में गिरावट का क्रम बना रहा है। जुलाई से सितंबर 2019 की अवधि में जीडीपी की वृद्धि दर 4.5 फीसद पर आ गई है। यह बीते छह साल का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले जनवरी-मार्च 2012-13 की तिमाही में 4.3 फीसद की जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की गई थी।नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (एनएसओ) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किये। बीते वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसद रही थी। जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 5 फीसद रही थी। 

एनएसओ के मुताबिक दूसरी तिमाही में जीडीपी का आकार 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रामणियन ने जीडीपी के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा 'इकोनॉमी के फंडामेंटल मजबूत हैं और तीसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकलना शुरू होगी।' आंकड़ों के अनुसार आर्थिक विकास दर को कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के प्रदर्शन ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में इस तिमाही एक फीसद की कमी दर्ज की गई है। जुलाई सितंबर की अवधि में यह -1.0 फीसद रही है। पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.9 फीसद रही थी।बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.9 फीसद की रफ्तार से ग्रोथ करने वाले कृषि क्षेत्र की रफ्तार इस अवधि में आधी से भी कम रह गई है। 

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर की तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.1 फीसद रही है। करीब यही स्थिति कंस्ट्रक्शन सेक्टर की भी रही है। दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र की वृद्धि दर बीते साल के 8.5 फीसद से घटकर 3.3 फीसद रह गई है। जबकि खनन क्षेत्र की विकास दर बीते वर्ष की दूसरी तिमाही के 2.2 फीसद से घटकर 0.1 फीसद पर आ गई है। ये सभी सेक्टर रोजगार देने वाले क्षेत्रों की गिनती में आते हैं।दूसरी तरफ सेवाओं के क्षेत्र में भी प्रदर्शन में गिरावट का क्रम बना हुआ है। बिजली, गैस, पानी और अन्य सामाजिक सेवाओं की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.6 फीसद रही है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में इस क्षेत्र ने 8.7 फीसद की दर से वृद्धि हासिल की थी। इसी तरह ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्यूनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग से जुड़ी अन्य सेवाओं की वृद्धि दर 6.9 फीसद से घटकर दूसरी तिमाही में 4.8 फीसद पर आ गई है। वित्तीय सेवाओं की वृद्धि दर में भी इस अवधि में गिरावट दर्ज की गई है और यह सात फीसद के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 5.8 फीसद रही है। परन्तु  लोक सेवा, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर बीते साल की दूसरी तिमाही के 8.6 फीसद से बढ़कर 11.6 फीसद हो गया है।

अर्थव्यवस्था में निवेश का बैरोमीटर माने जाने वाले ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉरमेशन 2011-12 के मूल्यों पर दूसरी तिमाही में 10.83 लाख करोड़ रुपये आंका गया है। यह पिछले साल इसी अवधि में 11.16 लाख करोड़ रुपये रहा था। यह जीडीपी का 30.1 फीसद है जो बीते साल 32.4 फीसद था। हालांकि सरकार के व्यय के आंकड़े में दूसरी तिमाही में वृद्धि दर्ज की गई है। यह पिछले साल की दूसरी तिमाही के 11.9 फीसद से बढ़कर इस वर्ष 13.1 फीसद पर आ गया है।जहां तक छमाही आधार पर देश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का सवाल है उसमें जीडीपी की दर अप्रैल से सितंबर की अवधि में 4.8 फीसद रही है। यह बीते साल 7.5 फीसद थी। बताया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने अपने अनुमान घटा दिये थे। रिजर्व बैंक भी वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी के अपने पूर्व के 6.9 फीसद के अनुमान को घटाकर 6.1 फीसद कर चुका है।

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