नई दिल्ली : RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी पुस्तक आई डू वॉट आई डू की लांचिंग के दौरान कहा कि - नोटबंदी कालेधन पर नकेल कसने में कामयाब रही या असफल, अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन हाँ ये बात स्पष्ट है कि नोटबंदी के कारण GDP में गिरावट आयी है. और इससे निपटने में सरकार को चाहिए कि वह तीन सेक्टर पर ध्यान दे. पहला इंफ्रास्ट्रक्चर यानि कि बुनियादी ढाँचे को उचित ढंग से साकार किया जाए. उसके बाद नंबर आता है पावर यानि कि बिजली. सरकार को चाहिए कि वह बिजली आपूर्ति पर ध्यान दे और फिर आखिर में नंबर आता है एक्सपोर्ट यानि कि निर्यात का. इन तीनो पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
नोटबंदी पर अपना पक्ष रखते हुए राजन ने कहा कि उन्होंने कभी भी नोटबंदी पर अपनी सहमति नहीं जताई और उनके कार्यकाल के दौरान नोटबंदी पर कोई चर्चा नहीं हुई ना ही उन्होंने इस पर अपना समर्थन दिया. हालाकिं सरकार ने उनसे इस एक नोट देने को कहा था जिसे राजन ने तैयार कर सरकार को सौंप दिया था और उसमे नोटबंदी के दूरगामी फायदों के साथ उसके लागू करने में लगने वाले वक़्त और खर्चे का सम्पूर्ण विवरण किया गया था. आगे राजन ने कहा कि अगर उनसे नोटबंदी लागू करने को कहा जाता तो वह अपने गवर्नर के पद से इस्तीफ़ा दे देते.
अपने दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान राजन ने कहा कि -"हमें इतना निराशावादी नहीं होना चाहिए और कहना चाहिए कि अच्छे दिन खत्म हो गए हैं, लेकिन हमें अब चिंतित होना चाहिए...पिछले साल सितंबर में खत्म हुई तिमाही के बाद से ग्रोथ ने गिरावट दर्ज कराई है।” नोटबंदी से जीडीपी में गिरावट दर्ज़ की गयी उसके बाद GST लागू होने की वजह से जीडीपी में और गिरावट दर्ज़ की गयी. आगे उन्होंने कहा कि नोटबंदी से जो टैक्स कलेक्ट किया गया है वो लगभग 10 हज़ार करोड़ रूपये है जो कि GDP ग्रोथ में हुई गिरावट के तुलना में बहुत कम है. नोटबंदी के कारण जीडीपी में गिरावट 1-2 प्रतिशत कि गिरावट दर्ज़ की गयी थी जो की 2 लाख करोड़ के आस पास थी. अब ऐसे में ये कहना की नोटबंदी किस हद तक सफल रही या विफल अभी जल्दबाजी होगी.
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