गरुड़ पुराण को हिन्दू धर्म में महापुराण की संज्ञा की गई है। इस महापुराण में जिंदगी जीने की कई नीति तथा नियम बताए गए हैं, साथ-साथ मौत के वक़्त और इसके पश्चात् के हालातों का भी वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण में कर्म के आधार पर मरने के पश्चात् स्वर्ग, नर्क तथा मृत्यु लोक मिलने की बात बोली गई है। इसके अतिरिक्त मरते वक़्त मनुष्य कैसा महसूस करता है, उसके प्राण कैसे निकलते हैं, इन बातों का भी जिक्र किया गया है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि मौत जब पास आती है तो मनुष्य कैसा महसूस करता है।
1- गरुड़ पुराण के अनुसार, जब मनुष्य की मृत्यु निकट आती है तो कई व्यक्तियों की आंखों के समक्ष जिंदगी में किए गए कर्मों की मानो रील जैसी घूमने लगती है। मनुष्य की जिंदगी के आखिरी वक़्त से लेकर उसके जन्म तक मानों सारे कर्म रिवर्स गियर मे चलती हैं। इस वक़्त में मनुष्य को पहले से अहसास होने लगता है कि उसने क्या सही और क्या गलत किया है। इसी के आधार पर मरने के पश्चात् यमराज इंसाफ करते हैं।
2- गरुड़ पुराण में लिखा है कि कई बार जब मनुष्य की मृत्यु निकट आती है तो उसे पानी में, तेल में या शीशे में अपनी परछाई विकृत नजर आने लगती है। अगर ऐसा हो तो समझ लेना चाहिए कि मौत अब निकट है।
3- मृत्यु के नजदीक आते ही कुछ मनुष्यों के आंखों की रोशनी समाप्त होने लगती है तथा उसे अपने आसपास बैठे लोग भी दिखने बंद हो जाते हैं।
4- गरुड़ पुराण के अनुसार, जिन मनुष्यों के कर्म अच्छे होते हैं, उन्हें मरते वक़्त अपने सामने दिव्य प्रकाश दिखाई देता है। इन लोगों को प्राण छोड़ते वक़्त न तो अधिक समस्यां होती है तथा न ही मृत्यु से डर लगता है।
5- वहीं जो मनुष्य मोह माया में फंसे होते हैं, उनके प्राणों को यमराज के दूत जबरन खींचते हैं। ऐसे मनुष्यों को प्राण छोड़ते वक़्त बहुत कष्ट होता है। इसीलिए मरने से पहले ही मोह माया छोड़ देने के लिए कहा जाता है।
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